बाढ़ से दर्जनों गाँव हुए जलमग्न, लोगों से छिना उनका आश्रय। इसके बावजूद भी नहीं मिल रही कोई सरकारी मदद।
जसपुरा। बारिश की वजह से ब्लॉक जसपुरा के पैलानी तहसील क्षेत्र में अभी तक तीन दर्जन से भी अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं। वहीं लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक गांवों के बाहरी इलाकों में पानी घुस चुका है। जिसमें गांव तारा, ललौली, अदरी, हरवंशपुर, नांदादेव, पदारथपुर, बंशीडेरा, नरी, तगड़ा डेरा और खप्टिहा कलां शामिल हैं। मामले की गंभीरता को नज़रअंदाज़ करते हुए पैलानी तहसील प्रशासन का कहना है कि किसी भी गांव में पानी नहीं घुसा है।
रहने को सुरक्षित स्थान ढूंढते लोग
आपको बता दें, तहसील क्षेत्र के नांदादेव के मजरा शंकर पुरवा में आज सोमवार 9 अगस्त को गांव में पानी घुसने से मजरे के लोगों ने अपने लिए सुरक्षित स्थान ढूढ़ना शुरू कर दिया है। लोग टीले पर पन्नी और पुरानी साड़ियों से तंबू लगाकर अपने लिए रहने का स्थान बना रहे हैं। हालात को देखते हुए भी गांव में प्रशासन की तरफ से कोई भी मेडिकल टीम नहीं भेजी गयी है।
लोगों का कहना है कि उनके लिए कोई सुरक्षा का इंतज़ाम नहीं किया गया है। यहां तक की घर को रोशन करने के लिए उनके पास मिट्टी का तेल भी नहीं है। वह कहते हैं कि बाढ़ प्रभावित चौकी में कोई नहीं जाता। जब खबर लहरिया ने से इस बारे में पैलानी के उपजिलाधिकारी रामकुमार से बात करनी चाही तो उनको फोन नेटवर्क ज़ोन से बाहर बताता रहा।
खतरे के निशान से ऊपर बह रही नदियां
आज चिल्लाघाट की यमुना नदी खतरे के निशान से 1.86 मीटर ऊपर बह रही हैं। जल आयोग के अनुसार यमुना नदी में लगभग 10 सेंटीमीटर प्रति घण्टे के हिसाब से पानी आ रहा है। जिस वजह से केन व चंद्रावल नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। तीन नदियों के प्रभाव से हज़ारों बीघा खेत जलमग्न हो गए हैं।
यमुना नदी में लगातार पानी आने की वजह से बांदा-कानपुर स्टेट हाइवे में फतेहपुर जनपद के ललौली में पानी भर जाने से आवागमन बन्द कर दिया गया है। पपरेन्दा में पुलिस ने बैरिकेड लगाकर कानपुर की तरफ जाने वाले ट्रैफिक को हर तरह से रोक दिया है। वहीं इसी मार्ग पर पड़ने वाले फतेहपुर जिले के ललौली कस्बे में बाढ़ का पानी सड़क के काफी ऊपर से बह रहा है जिससे दोनों तरफ का यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है।
लोगों के आने-जाने पर लगाई रोक
बाढ़ प्रभावित इलाकों में फ्लड पीएसी तैनात कर दी गई है। चिल्ला कस्बे में यमुना खतरे के निशान के 100 मीटर से 1.86 मीटर ऊपर यानी 101.86 मीटर पर बह रही है। सीओ सदर सत्यप्रकाश शर्मा ने बताया कि बांदा-कानपुर रोड के ललौली में यमुना का पानी सड़क पर आ जाने की वजह से पपरेन्दा से लेकर फतेहपुर तक यातायात पूरी तरह से रोक दिया गया है। खतरे को देखते हुए छोटी से लेकर बड़ी गाड़ियों तक किसी को भी जाने की अनुमति नहीं दी गयी है। लोगों को आगे-जाने से रोका जा रहा है।
बाढ़ के खतरे को लेकर की हुई रिपोर्टिंग
बारिश से होते बाढ़ के खतरे को लेकर खबर लहरिया ने कुछ दिनों पहले 7 अगस्त 2021 को बांदा और वाराणसी जिले के गांवों की स्थिति को लेकर रिपोर्टिंग की थी। यहां के लोगों का कहना था कि लगातार दो दिन से गंगा का जलस्तर बढ़ने से उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वाराणसी के नगर क्षेत्र पुराने पुल पैगंबरपुर से दनियालपुर शास्त्री घाट के आस-पास रहने वाले सभी इलाकों में पानी भर गया है। लोग बाहर सुरक्षित ठिकाना तलाश कर रहे हैं। पुराने पुल इलाका के लगभग 200 से ढाई सौ घरों में पानी भर गया है। वह लोग घर छोड़ कर जाने को बाध्य हैं। उन्होंने बताया की अब वह कहीं किराये का कमरा लेकर रहेंगे।
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नहीं आया कोई आदेश – सभासद
सभासद दूधनाथ चौहान का कहना है कि इस इलाके में पानी का जलस्तर बढ़ गया है और लोगों के घर तक पहुंच गया है। इसकी सूचना उन्होंने उच्च अधिकारीयों को दी है लेकिन अभी प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई आदेश नहीं आया है।
क्या कहते हैं अपर जिला अधिकारी?
इस संबंध में अपर जिला अधिकारी सदर का कहना है कि जिस भी इलाके में बाढ़ आई है उस इलाके में चौकियां बनी हैं। वहां पर टेंट लगाया गया है। लोग वहां पर रह सकते हैं। अगर नाव की जरूरत होगी तो वह भी उन्हें मिलेगी। इसको लेकर के प्रशासन की तरफ से कई नंबर ज़ारी हुए हैं। यही हाल बांदा का भी है वहां की प्रशासन ने लोगों के लिए नाव की व्यवस्था कराई है। लेकिन लोगों के अनुसार नाविक उनसे मनमानी पैसे लेता है, जो की जांच का विषय है।
बाढ़ से जुड़ी जानकारी के लिए ज़ारी नंबर
वाराणसी जिले में बाढ़ से जुड़ी जानकारी के लिए नंबर भी ज़ारी किये गए हैं। टेलीफोन नंबर 05412502562 अपर जिला अधिकारी, 9454417650 अपर जिला अधिकारी सदर, 9454411740 अपर जिला अधिकारी राजा तालाब, 9454417037 अपर जिला अधिकारी पिंडरा, 9454417039 तहसीलदार सदर पेंड्रा, मुख्य चिकित्सा अधिकारी 9415 301513, अधिशासी अभियंता 9457207974, अपर नगर आयुक्त नगर निगम 9838570333 तथा मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी 9415070018 आदि।
हर साल यही हाल लेकिन इन्तज़ाम खस्ताहाल
बाढ़ आना कोई नई विपदा नहीं है। यह स्थिति हर साल आती है लेकिन शासन-प्रशासन नहीं की व्यवस्था हमेशा खस्ताहाल ही रहती है। साल 2019 में हमने रिपोर्टिंग की थी, जिसके अनुसार जसपुरा क्षेत्र का शंकर पुरवा हमेशा बाढ़ से प्रभावित होता हैं। यह गांव अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव है। इसकी सुध कभी नहीं ली जाती। पिछले साल 2020 में भी खबर लहरिया ने यहां की रिपोर्टिंग की थी। बाढ़ के चलते यहां एक प्रसूता की मौत भी हो गई थी लेकिन प्रशासन ने कोई पहल नहीं की। लोग फिर से उसी हालात में आ गए हैं।
यूँ तो सरकार ने लोगों की मदद के लिए नंबर जारी किये हैं लेकिन नंबर ज़ारी करने का क्या फायदा जब लोग कॉल ही ना कर पाए? बाढ़ में ना तो नेटवर्क आता है और ना ही घर बचते हैं कि लोग अपने फोन चार्ज कर सकें। वहीं सरकार द्वारा लोगों की मदद के लिए बनाये गए अधिकारी अब भी लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए सरकार के आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं। आखिर सरकार कब मदद भेजेगी? जब बाढ़ से ग्रसित गाँव और लोगों की संख्या हज़ार हो जायेगी या फिर तब जब मौतों की संख्या बढ़ने लगेगी?
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