यूपी के अयोध्या जिले के तारुन के अंतर्गत हैदरगंज में बने सीएचसी में सुविधाओं की कमी है। जिसकी वजह से लोग स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
यूपी के अयोध्या जिले के हैदरगंज में करोड़ो रूपये लगाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। केंद्र में चिकित्सा अधीक्षक को तो तैनात कर दिया गया। लेकिन केंद्र में न तो लोगों को देने के लिए दवा है और न ही स्टाफ़। जिसकी वजह से लोग किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। यहां तक की प्रसव महिलाओं के लिए प्रसव कक्ष में बिजली की भी व्यवस्था नहीं है। इसके साथ ही केंद्र में एम्बुलेंस की सुविधा भी नहीं है।
जानकारी के अनुसार, लोगों को भाजपा के कार्यकाल से उम्मीदें थीं कि कोई सांसद विधायक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को गोद लेकर उसकी हालत को सुधार देगा। स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ और क्षेत्रवासियों के हाथों सिर्फ निराशा ही लगी।
स्वास्थ्य सुविधा न होने से होती परेशानियां
जनपद अयोध्या के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तारुन के अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैदरगंज है। जो की लाखों की आबादी के क्षेत्र में बना हुआ है। जनपद तीन अन्य सीमाओं से जुड़ा हुआ है जो की है अंबेडकर नगर और सुल्तानपुर। अयोध्या की सीमा से सटे होने के नाते इसका और महत्व हो जाता है। यहां से चौरे बाजार पुलिस चौकी सिर्फ 12 किलोमीटर की दूरी पर है। मोती गंज पुलिस चौकी 25 किलोमीटर, हैदरगंज थाना कोतवाली 4 किलोमीटर पर स्थित है। आये दिन इन पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत मारपीट और दुर्घटनाग्रस्त लोगों का मेडिकल नहीं हो पाता है। इसके चलते घायलों को तारों बीकापुर या जनपद मुख्यालय लेकर जाना पड़ता है।
स्टाफ़ और उपकरणों के आभाव में है सीएचसी
समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हैदरगंज में एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं है। जिसकी वजह से गंभीर रूप से घायल पीड़ित मरीजों को अस्पताल पहुंचाने में समस्या आती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते हफ़्ते में डॉ.अमित कुमार वर्मा की सुप्रीम कोर्ट टेंडर (अधीक्षक) के रूप में तैनाती की गयी थी। उनके साथ दो फार्मासिस्ट (दवाई देने वाला) और एक महिला एनम टेक्नीशियन की भी नियुक्ति की गई थी।
लेकिन सीएचसी में साफ़-सफाई के लिए न तो किसी कर्मचारी को रखा गया है और न ही किसी वार्ड बॉय को। जिसकी वजह से परिसर में हमेशा गंदगी रहती है। जबकि कोरोना जैसी महामारी के समय सफाई का होना बेहद ज़रूरी है। सीएचसी में गंदगी की वजह से कुत्ते आराम फरमाते हुए नज़र आते हैं। केंद्र में न तो ज़रूरत के उपकरण हैं और न ही कोई महिला डॉक्टर।
शासन से नहीं मिली मंज़ूरी – मौजूदा फार्मासिस्ट
दवाओं के बारे में खबर लहरिया ने मौजूद फार्मासिस्ट लोधी कुमार से बात की। उन्होंने बताया कि समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तारुन के सहारे उन्हें जो कुछ मिलता है वह वही दवा दे पाते हैं। वह आगे कहते हैं कि अभी तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दवाओं के लिए जिले से ना रजिस्ट्रेशन हुआ है और न ही शासन से मंजूरी मिली है। जिसकी वजह से यहां दवाइयों की कमी रहती है।
जल्द होगी व्यवस्था – चिकित्सा अधीक्षक
खबर लहरिया ने मामले को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैदरगंज के चिकित्सा अधीक्षक अमित कुमार वर्मा से बात की। उनका कहना था कि दवाओं के लिए व अन्य स्टाफ़ के लिए विभागीय कार्यवाही की गयी है। जल्द ही सारी व्यवस्थाएं हो जाएंगी।
क्या कहना है हैदरगंज वासियों का?
हैदरगंज में रहने वाले हरीश जैन, पूनम पांडे,शैलेश पांडे,अनु राम यादव,अरुण सिंह,विकास वर्मा आदि कई लोगों से खबर लहरिया ने बात की। लोगों ने बताया की सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उद्घाटन से लेकर आज तक यहां सिर्फ करोड़ों रुपए की लागत से बनी इमारत ही दिखाई देती है। यहां किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध नहीं है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन पहले समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह ने 3 जुलाई 2017 में किया था। जब भाजपा की सरकार बनी तो भाजपा के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी ने 14 अगस्त 2019 को इसका उद्घाटन किया था। उसी समय से यहां सुविधाओं का अभाव है। जिसकी वजह से लोगों को 16 से 17 किलोमीटर दूर तारुन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए जाना पड़ता है। लोगों का कहना है कि अगर हैदरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाएँ हो जायेगी तो उन्हें काफी राहत मिलेगी।
लोगों ने बताया कि जब अयोध्या जिले में अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गोद लिए जा रहे थे तब उन्होंने सोचा की अगर कोई विधायक या मंत्री द्वारा सीएचसी को गोद ले लिया जाएगा तो स्वास्थ्य से जुड़ी कमियों में सुधार आएगा। लेकिन विधायक द्वारा सीएचसी की तरफ दोबार पलट कर देखा ही नहीं गया। जिससे की लोगों की थोड़ी बहुत जो भी उमीदें थी, वह भी टूट गयी।
यह है मुख्य चिकित्सा अधिकारी का कहना
खबर लहरिया ने मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी घनश्याम सिंह से बात की। उन्होंने बताया कि दवा और स्टाफ़ को लेकर जिला से शासन को जानकारी भेज दी गयी है। अब वहां से सूचना आने के बाद दवाओं की और अन्य स्टाफ की व्यवस्थाएं हो जाएगी।
बीते सालों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार द्वारा कई गाँवों को विकास का वादा करते हुए गोद लिया गया था। जहां आज विकास का कोई भी कार्य नहीं हुआ है। यहां तक की जिन भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को विधायकों द्वारा गोद लिया गया था। उनका भी यही हाल है। विकास का कार्य न होने पर प्रशासन की तरफ से कोई जवाबदेही क्यों नहीं है?
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इस खबर की रिपोर्टिंग कुमकुम यादव द्वारा की गयी है।
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