खबर लहरिया Blog सीएम ने अयोध्या के सीएचसी को लिया गोद, होगा विकास या यह भी अन्य गोद लिए गाँवों की तरह होगा चौपट

सीएम ने अयोध्या के सीएचसी को लिया गोद, होगा विकास या यह भी अन्य गोद लिए गाँवों की तरह होगा चौपट

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या के मसौधा ब्लॉक के सीएचसी को गोद लिया गया है। लेकिन क्या इससे होगा विकास?

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा अयोध्या जनपद की मसौधा ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) को गोद लिया गया है। गोद लेने की वजह प्रदेश की स्वास्थ्य व्यस्था को मज़बूत बनाने को कहा गया। साथ ही यह भी कहा गया कि इसके बाद अयोध्या का विकास होगा और इससे लोगों को भी फायदा होगा। लेकिन क्या सच में सीएम द्वारा सीएचसी गोद लेने के बाद लोगों की समस्याओं का निवारण हो जाएगा? पहले जानते हैं कि क्या है अयोध्यावासियों का कहना।

यह है लोगों का कहना

मसौधा ब्लॉक के निवासी रमेश कुमार यादव का मानना है कि सीएम द्वारा सीएचसी गोद लेने से सीएचसी का विकास होगा। अस्पताल में सारी व्यवस्थाएं होंगी। गरीबों को लाभ मिलेगा और दूर-दराज़ से आये लोग भी इलाज करा पाएंगे।

महेश कुमार कहते हैं कि पहले दवाइयां नहीं मिलती थीं। अब दवाइयां भी मिलेगी इसलिये वह बहुत खुश हैं।

लवेश कुमार का कहना है कि यूँ तो बहुत लोगों ने जगहों को गोद लिया है। लेकिन किसी ने कोई काम नहीं किया। उन्हें उम्मीद है कि इस बार लोगों की सुविधाओं के लिए व्यवस्था कराई जायेगी। वह उदाहरण देते हुए बताते हैं कि अयोध्या जिले में बराव गाँव को भाजपा के सांसद विनय कटियार ने साल 2012 में गोद लिया था। लेकिन वहां न तो बिजली है और ऊपर से नालियां भी नहीं बनी है। सड़क भी खराब है। ऐसे गाँव को गोद लेने का क्या फायदा जब विकास ही नहीं हुआ और न ही कोई सुविधा हो पायी।

अस्प्ताल का माँगा गया ब्यौरा

मसौधा ब्लॉक के समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक डॉक्टर अबसार अली ने बताया कि इस सीएचसी को कोविड स्पेशल अस्पताल का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि सीएचसी को दस ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर दिया गया है। इसके साथ ही अन्य संसाधनों से लेकर इलाज के लिए चिकित्सकों का ब्यौरा भी केंद्र प्रभारी द्वारा माँगा गया है। अस्पताल में कितने बेड तैयार किये जायेंगे। इसके लिए अधिकारीयों के साथ विचार-विमर्श किया जा रहा है।

बड़े और बच्चों के लिए आरक्षित होंगे बेड

शासन की तरफ से सीएमओ को भेजे गए पत्र में संसाधन की कमीं व उपलब्ध संसाधनों की सूची तथा केंद्र पर तैनात चिकित्सकों की संख्या उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। इसके लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. अबसार अली को स्पेशल लैब, डिजिटल एक्सरे मशीन, कर्मचारी व चिकित्सक की कमियों को दूर करने के अलावा उपलब्ध चिकित्सक की संख्या की सूचना देने को कहा गया है। जानकारी के अनुसार, अस्पताल में आधे बेड बड़ों के लिए और आधे बेड बच्चों के लिए आरक्षित किये जाएंगे।

अयोध्या के विधायक वेद प्रकाश गुप्ता का कहना है कि सीएम द्वारा मसौधा को गोद लेने के बाद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को फायदा मिलेगा। वह कहते हैं कि उन्होंने भी अयोध्या जिले के पूरा बाज़ार का सीएचसी गोद लिया हुआ है।

लेकिन क्या किसी गाँव या जगह को गोद ले लेने से उस जगह का विकास हो जाएगा? गोद लेने का मतलब होता है पहले उस जगह को समझना, उसकी परेशानियों का समझना, फिर धीरे-धीरे समस्या का निपटारा करना तब जाकर किसी जगह का विकास होता है।

सीएम द्वारा 2015 में गोद ली जगह का है बुरा हाल

यूपी के गोरखपुर शहर से करीब 15 किमी दूर एक गांव है। जिसका नाम है जंगल औराही। द वायर की 8 मई 2019 की रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत इस गांव को साल 2015 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने गोद लिया था। यह कहा गया था इस गाँव का विकास होगा। लेकिन इस गाँव की हालत भी भारत के अन्य गाँवों जैसी ही है। जहां न तो शिक्षा की व्यवस्था है और न ही चिकित्सा की।

जंगल औराही गांव में कुल 14 टोले हैं। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस गांव की जनसंख्या 5,213 है। इसमें से 2,709 पुरुष और 2,504 महिलाएं हैं। गांव में 748 लोग अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के हैं। गांव तक ले जाने वाली सड़क अभी भी कच्ची है और कुछ जगहों पर ईंट बिछा हुआ है। यहां न तो पानी की व्यवस्था है, न ही बिजली की और न ही यहां शौचालय बना हुआ है तो क्या इसे विकास कहा जाएगा?

अव्यवस्था को लेकर यह है लोगों का कहना

द वायर की 8 मई 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, गांव के व्यक्ति विजय कुमार चौहान कहते हैं, ‘हमारा ये गांव अखबारों में मॉडल/आदर्श तो बन गया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ है। बेहतर होता कि अगर ये लोहिया ग्राम में आ जाता, तो यहां का भी कुछ विकास हो जाता। ’ 35 वर्षीय चौहान खेती करते हैं और इस बात से नाराज़ हैं कि मोदी सरकार किसानों को उपज का सही दाम नहीं दे रही है।

गाँव की सरिता का कहना है कि, ‘एक शौचालय बनाने के लिए गांव के अन्य लोगों को 12,000 रुपये मिले हैं। लेकिन मुझे अभी तक 6000 रुपये ही मिला है। काम पूरा नहीं होने की वजह से इसमें गाड़ी खड़ी रहती है। ’ सरिता के अलावा गांव के कुछ और घरों में अभी शौचालय का काम पूरा नहीं हुआ है।

रोशनी चौहान ने कहा, ‘मेरा बहुत मन करता है कि मैं आगे पढूं, लेकिन स्कूल गांव से काफी दूर है। ये इलाका भी सुरक्षित नहीं है कि हम अकेले पढ़ने जा सकें। लड़के छेड़छाड़ करते हैं.’

गांव के छावनी टोले की रहने वाली 30 वर्षीय रिंकी ने कहा, ‘जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, कभी गांव में नहीं आए। मेरा पति मिस्त्री है, लेकिन उन्हें हर दिन काम नहीं मिलता है। घर चलाने के लिए मैं काम करना चाहती हूं, लेकिन यहां रोज़गार के कोई मौके नहीं है। अधिकतर महिलाएं बस ऐसे ही घर में बैठी रहती हैं।’

इसके बाद यह बात तो साफ़ है कि सीएम द्वारा पहले विकास के मॉडल के नाम पर गाँव को गोद तो लिया गया लेकिन वह उसका विकास करना ही भूल गए। इस बार सीएम द्वारा मसौधा के सीएचसी को गोद लिया गया है। जिसे लेकर यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा सकता कि जिस तरह से गोद लेते समय विकास की बात कही गयी। वह किस हद तक पूरी की जाती है क्यूंकि हमने सीएम द्वारा गोद लिए हुए गाँव का हाल देख चुके हैं। जिसकी अब सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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