आज के समय में बहुत से काम डिजिटल हो गए हैं यहां तक की पढ़ाई भी। गांव की लड़कियां अब भी डिजिटल नहीं हो पाई हैं उसकी वजह है लड़कियों के पास स्मार्टफोन का न होना। आधुनिक जानकारी या शिक्षा से जुड़ी जानकारी के लिए उन्हें अपने भाई यानी एक पुरुष पर ही निर्भर होना पड़ता है। इस तरह से वे पीछे रह जाती हैं।
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2024 की रिपोर्ट में सामने आया कि ग्रामीण भारत में 14 से 16 आयु वर्ग के लड़कियों की तुलना में लड़के समर्टफोने का इस्तेमाल करते हैं। यह रिपोर्ट कल मंगलवार 28 जनवरी 2025 को सामने आई। लड़कों और लड़कियों में स्मार्टफोन को लेकर भी इतना बड़ा अंतर आखिर क्यों? इन आंकड़ों को देखते हुए लगता है इसका कारण लिंगभेद है जिसकी वजह से लड़के का स्मार्टफोन चलाना तो गलत नहीं है, पर लड़कियाँ स्मार्टफोन चलाए तो जरूर से ये गलत है। खबर लहरिया की रिपोर्ट में आप जानेंगे कि आखिर ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों को फ़ोन क्यों नहीं दिया जाता और स्मार्टफोन न होने से वे कैसे लड़कों से समझ और शिक्षा में पीछे रह जाती हैं?
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2024 क्या कहती है पहले इसके बारे में जान लेते हैं। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, इस रिपोर्ट में 14- 16 वर्ष की आयु वाले वर्ग का आंकड़ा निकाला गया जिसमें बताया गया कि 82 प्रतिशत बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना जानते हैं, लेकिन हाल ही में केवल 57 प्रतिशत ने ही शिक्षा के उद्देश्य से इसका इस्तेमाल किया है। जो बच्चे सोशल मीडिया के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं उनका प्रतिशत 76 है।
आपको बता दें कि वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) ने सर्वे किया जिसमें डिजिटल साक्षरता को लेकर शिक्षा ग्रामीण घरेलू सर्वेक्षण पर आधारित वार्षिक रिपोर्ट काम किया। इसमें भारत के 605 ग्रामीण जिलों के 17,997 गांवों में 6,49,491 बच्चों तक पहुंचा गया जहाँ सिर्फ 14-16 आयु वर्ग को केंद्र में रखा गया।
स्मार्टफोन न मिलना लिंग भेद की वजह
लिंग भेद के आधार पर ही मोबाइल चलाने दिया जाता है। यदि लड़का है तो उसे मांगने पर मोबाइल मिल सकता है लेकिन यदि लड़की ने स्मार्टफोन माँगा तो सैकड़ों सवाल खड़े कर दिए जाते हैं। लड़कियों को स्मार्टफोन दे भी जाए तो उन पर नज़र रखी जाती है कि कहीं वे इसका गलत इस्तेमाल तो नहीं कर रही? लेकिन लड़कों और लड़कियों में यहां भी भेदभाव लड़कियों को आगे बढ़ने से रोकता है।
स्मार्टफोन को लेकर लड़के और लड़कियों में अंतर
बोलेंगे बुलवाएंगे हंस के सब कह जायेंगे शो में जब गांव में लोगों से पूछा गया कि लड़कियों को फ़ोन क्यों नहीं दिया जाता तो उन्होंने ये जवाब दिए।
लड़कियां बिगड़ जाएगी
दूसरों लड़कों से बात करने लगेगी।
लड़कियां फ़ोन चलाएंगी तो इज़्ज़त चली जाएगी। बदनामी होगी।
लड़के कितना भी फोन चलाए उनसे कोई सवाल नहीं करता और न ही उन पर कोई पाबन्दी लगती है।
लड़कियों को समय दे दिया जाता है यदि पढ़ाई करनी है तो इतने समय तक इस्तेमाल कर सकती हो।
वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, 36.2 प्रतिशत लड़कों के पास स्मार्टफोन है, जबकि केवल 26.9 प्रतिशत लड़कियों के पास स्मार्टफोन है।
स्मार्टफोन न होने से टूट रहे लड़कियों के सपने
लड़कियां अगर पढ़ना चाहती है फिर भी उन्हें स्मार्टफोन नहीं दिया जाता। घर में जो स्मार्टफोन है उसी से वो ऑनलाइन क्लास ले सकती हैं लेकिन लड़कों के पास पर्सनल स्मार्टफोन होता है। अयोध्या की रहने वाली अर्पिता सिंह बताती हैं कि, ” उनकी उम्र से छोटे लड़कों के पास भी स्मार्टफोन है लेकिन उनके पास नहीं है। परिवार को लगता है लड़कियां गलत फायदा उठाएगी इसलिए हमे नहीं दिया जाता।”
अर्चना विश्वकर्मा ने कहा कि, “यदि हमें स्मार्टफोन होता तो पढ़ने में आसानी होती।”
डिजिटल दुनिया से भी ग्रामीण लड़कियां दूर
आज के समय में बहुत से काम डिजिटल हो गए हैं यहां तक की पढ़ाई भी। गांव की लड़कियां अब भी डिजिटल नहीं हो पाई हैं उसकी वजह है लड़कियों के पास स्मार्टफोन का न होना। आधुनिक जानकारी या शिक्षा से जुड़ी जानकारी के लिए उन्हें अपने भाई यानी एक पुरुष पर ही निर्भर होना पड़ता है। इस तरह से वे पीछे रह जाती हैं। यदि उनके पास मोबाइल होता भी है तो उनके अंदर डर हो जाता है कि कहीं स्मार्टफोन खराब न हो जाए। इस वजह से कुछ लड़कियां फ़ोन अपने हाथ में नहीं लेती है। दुनिया में मोबाईल और इंटरनेट की दुनियां में लड़कियों की भागीदारी पर आखिर क्यों रोक है?
लॉकडाउन में स्मार्टफोन न होने से लड़कियों की शिक्षा अधूरी
जब कोविड महामारी के दौरान लॉकडाउन हुआ, तब लड़कियों की पढ़ाई पर इसका गहरा असर पड़ा था। स्मार्टफोन न होने की वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी, क्योंकि वे ऑनलाइन क्लास नहीं ले पाई। घर में एक स्मार्टफोन था तो भाई का पढ़ना जरुरी समझा गया। लड़कियों के हाँथ में स्मार्टफोन हो, तो क्यों है ये अजीब बात समझी जाती है?
18 साल की रोशनी कहती हैं कि, “लॉकडाउन हुआ तो पढ़ाई नहीं हो पाई। न ही स्कूल के बारे में पता चल पाया कि पढ़ाई हो रही है। पापा आते हैं तो उनसे फोन लेकर मैडम से बात कर लेते हैं। उनसे पता चला जाता है कि कब से स्कूल खुलने वाले हैं।”
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रिपोर्ट के आंकड़ें चाहे कुछ भी हो लेकिन हम ये खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारे आस-पास लड़कों के पास ही अधिकतर स्मार्टफोन देखा जाता है। लड़कियों को भी लड़कों के सामान डिजिटल दुनिया की समझ हो इसके लिए बिना लिंग भेद के उन्हें भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने देना चाहिए ताकि वे भी अपना कोई काम खुद से कर सके किसी और पर उन्हें निर्भर न होना पड़ें।
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