लगभग डेढ़ महीने से चल रहे महाकुंभ ने लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया। और इन्हीं लोगों की कहानियों को ‘खबर लहरिया’ ने कवर किया है, जिसे हम इस आर्टिकल के ज़रिये आपके साथ साझा कर रहे हैं। वे कहानियां, जहां लोग खुद एक कहानी बन गए तो किसी का अस्तित्व मिट गया। किसी का नाम बन गया, किसी को उसी नाम की वजह से हिंसा का सामना करना पड़ा। परिवार बिछड़ गए तो कई भगदड़ में दब अपनी जान गवां बैठे।
यूपी के प्रयागराज जिले में आयोजित ‘महाकुंभ 2025’, जिसे कथित तौर पर विश्व का सबसे बड़ा भक्ति पर्व बताया गया, आज 26 फरवरी शिवरात्रि के दिन शनि स्नान के साथ खत्म हो रहा है। आज एक बार कथित शाही स्नान के लिए करोड़ों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी है। और एक बार फिर कुछ होने की आशंका है, जैसा हमने पिछले शाही स्नानों के दौरान घटित होते हुए देखा।
लगभग डेढ़ महीने से चल रहे महाकुंभ ने लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया। और इन्हीं लोगों की कहानियों को ‘खबर लहरिया’ ने कवर किया है, जिसे हम इस आर्टिकल के ज़रिये आपके साथ साझा कर रहे हैं। वे कहानियां, जहां लोग खुद एक कहानी बन गए तो किसी का अस्तित्व मिट गया। किसी का नाम बन गया, किसी को उसी नाम की वजह से हिंसा का सामना करना पड़ा। परिवार बिछड़ गए तो कई भगदड़ में दब अपनी जान गवां बैठे।
महाकुम्भ में खबर लहरिया द्वारा की गई 5 बड़ी रिपोर्ट्स :
महाकुंभ में चाय बेचकर कैफ़े खोलने का सपना देखने वाले शिव
यूपी, कानपुर के रहने वाले शिव अपनी चाय की केतली के साथ महाकुंभ में एक सपना लेकर आये थे। सपना था, चाय बेचकर अपना एक कैफ़े खोलना का।
‘कुंभ में आकर मैं खो गया हूं। जिन्होंने मोटा पैसा दिया है, वही मोटा पैसा कमाएंगे। हम जैसे लोग दिन का दो से ढाई हज़ार कमा पाते हैं। मैं बस ये कहना चाहता हूं कि वह चाय बेचकर नेता बन गए, मैं अपना कैफ़े खोलूंगा।”
13 जनवरी को महाकुंभ की शुरुआत होने के साथ ही कई ख़बरें और लोग सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे, जिनमें से एक कहानी शिव की तरह अन्य चाय बेचने वाले विक्रेताओं से जुड़ी थी। वायरल वीडियोज़ में दावा किया जा रहा था कि लोग चाय बेचकर अमीर हो रहे हैं, गाड़ियां खरीद रहे हैं। करोड़ों की संख्या में आये लोगों को करोड़ों की चाय बेचकर अमीर बना जा सकता है। इस खबर ने शिव की तरह कई लोगों को उम्मीद दी कि उनके सपने पूरे हो सकते हैं….
हमसे बात करते हुए शिव ने कहा कि उन्हें मालूम है कि वह चाय बेचकर कैफ़े खोलने जितना पैसा नहीं कमा सकते। सब कुछ ज़्यादा पैसे देने पर है, जितना लगाएंगे उतना मिलेगा और अगर उनके पास लगाने के लिए ज़्यादा पैसे होते तो वह अपना कैफ़े ही खोल लेते।
वास्तविकता, वायरल हो रही ख़बरों से अलग थी क्योंकि एक व्यक्ति की कहानी सबकी नहीं हो सकती और किसी एक की कहानी को सबका नहीं बनाया जा सकता।
मौनी अमावस्या में खोये परिजनों का पता कौन देगा जिनकी भगदड़ में मौत हो गई?
“जो नहीं आ रहे हैं, वह यहां कभी आने की कोशिश न करें। जो भी आएंगे, वो अपनी फैमिली को यहां से खोकर ही जाएंगे”
जमशेदपुर, झारखंड की रहने वाली सोनी हमसे बात करते हुए कहती हैं, 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन हुई भगदड़ के बाद से ही अपने पिता को तलाश रही हैं। इस उम्मीद से कि वो मिल जाएंगे। उनके पिता अपने एक दोस्त के साथ कुंभ में स्नान के लिए आये थे और भगदड़ के बाद से ही लापता हैं।
सोनी की संकोच करती आवाज़ में पिता के लापता होने का दर्द था। पुलिस अधिकारी उन्हें 40 किलोमीटर के क्षेत्रफल में बने महाकुंभ के एक थाने से दूसरे थाने में भेज रहे थे। किसी ने कहा कि प्रशासन मुआवज़ा न देने के डर से कम लोगों की मौत होने का आंकड़ा पेश कर रहा है। सोनी का बस यही कहना था,
“हमें मुआवज़े से कोई मतलब नहीं है। मेरे पापा कहीं भी हैं, पढ़े-लिखे इंसान नहीं है पर हां पागल नहीं है। उन्हें पता है कि कहां जाना है। अगर वो सही सलामत रहते तो घर पहुंच गए होते।”
29 जनवरी, मौनी अमावस्या के दिन हुए शाही स्नान में लगभग 57.1 मिलियन (स्त्रोत – इंडिया टुडे) श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई थी। करोड़ों की संख्या में आये ये श्रद्धालु अचानक भीड़ और भगदड़ में परिवर्तित हो गए। प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस भगदड़ ने लगभग 30 लोगों की जान ले ली और 60 लोगों को घायल कर दिया, हालांकि इस आंकड़े को स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।
जिन लोगों को भगदड़ में मार दिया गया, उनके परिवार करोड़ों की संख्या में आये जनसैलाब में उन्हें खोजने के लिए संघर्ष कर रहे थे, जमशेदपुर से आईं सोनी की तरह । लेकिन उनका पता न अस्पताल में था और न ही पुलिस के पास। और प्रशासन बस डुबकी लगाने वाले लोगों की संख्या इकट्ठा करने में व्यस्त हो रखी थी।
महाकुंभ की भगदड़ में मुस्लिमों ने मस्जिदों और घरों में दिया श्रद्धालुओं को आश्रय
जब मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मची, लोगों को पता नहीं था कि वह कहां जाए, “उनके चेहरे पर दहशत दिख रही थी कि हम कहां जाएंगे” – हुसैन अली ने खबर लहरिया को बताया।
“वो परेशान थे, हमसे जो कुछ हुआ, हमने किया। मज़ार खोल दिया, दरगाह खोल दिया। वो कहां से आये हैं, क्या हैं पता नहीं, इंसानियत के नाते हमसे जो कुछ हुआ हमने किया। जो श्रद्धालु भटक रहे थे, हमने उन्हें सही रास्ता बताया कि वह कहां कहां जा सकते हैं ” – हिम्मतगंज के बच्चे खां ने कहा।
हुसैन अली और बच्चे खां, उन लोगों में से एक हैं जिन्होंने अपने घर के दरवाज़े श्रद्धालुओं के आराम और उनकी मदद के लिए खोले थे।
मुस्लिमों के महाकुंभ में आने को लेकर एक चुप्पी वाला बयान हुआ था। मौखिक तौर पर कथित पर्व में सबको आमंत्रित करते हुए एक समुदाय को यह भी इशारा किया गया कि वे लोग इस पर्व में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें तथाकथित ‘हिन्दुओं की सुरक्षा’ की चिंता है।
मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मचने के बाद, कुंभ आये परिवारों के पास रहने का स्थान नहीं मिला तो उस समय यही समुदाय मदद के लिए आगे आया। यह माना गया, यह अनुभव किया गया कि इंसानियत ही सबसे पहले है और इस बीच कोई धर्म या मज़हब नहीं आता, न ही कोई नेता आ सकते।
महाकुंभ में स्नान करती महिलाओं की वीडियो बना पैसे कमा रहे लोग, कहां है कथित ‘गरिमा’ के रक्षक?
“क्या ये पाखंड नहीं है कि हम गंगा से अपने पापों को धोने की उम्मीद करते हैं और उसी गंगा में स्नान कर रही महिलाओं की गरिमा को तार-तार कर रहे हैं” – खबर लहरिया की एडिटर इन चीफ़ कविता बुंदेलखंडी अपनी शो ‘द कविता शो’ में महाकुंभ में आये तथाकथित श्रद्धालुओं और लोगों की आलोचना करते हुए कहती हैं।
कुछ दिनों पहले तेज़ी से वायरल होती ख़बरों की हेडलाइंस में ‘महाकुंभ में स्नान करती महिलाओं का वीडियो हो रहा वायरल” ट्रेंड कर रहा था। महिलाओं की निजता का हनन करते हुए उनके स्नान की वीडियोज़ को कई वेबसाइट्स पर बेचा जा रहा था, जिसे खरीदने वालों की संख्या भी कम नहीं थी।
पर्व चाहें तथाकथित आस्था का हो या कोई भी अन्य सार्वजनिक आयोजन, महिलाओं के साथ हिंसा हर जगह,हर घेरे में देखने को मिलती है।
महाकुंभ जाम की वजह से प्रयागराज में यूपी बोर्ड 2025 का पेपर रद्द
चित्रकूट जिले के मऊ ब्लॉक, बरगढ़ गांव में रहने वाले 19 वर्षीय दीपक सभी छात्रों की तरह 24 फरवरी को अपनी 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने वाले थे। लेकिन प्रयागराज में चल रहे ‘महाकुंभ’ और उससे होने वाले घंटों के जाम ने जिले में 24 फरवरी को हो रही 10वीं और 12वीं की यूपी बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया। बता दें, 24 फरवरी से 12 मार्च 2025 तक पूरे यूपी में यूपी बोर्ड परीक्षा कराई जा रही है।
अधिकारियों ने अपनी तरफ़ से सब स्पष्ट कर दिया लेकिन ज़रूरी सवाल छात्र और उनके परिवार वाले पूछ रहे थे। उनका कहना था कि अगर यही करना था तो पहले क्यों नहीं बताया? पहले बताया होता तो वह परीक्षा सेंटर तक पहुंचने के लिए हज़ारों ख़र्च करके गाड़ी नहीं बुक करते, जो छात्रों के स्थायी स्कूलों से तक़रीबन 100 से 150 किलोमीटर की दूरी पर हैं।
दीपक जैसे कई छात्र थे जिनका सेंटर प्रयागराज में पड़ा था और सबके लिए ढाई हज़ार की लागत लगाकर गाड़ी बुक करना आसान नहीं था। इनके परिवार मज़दूरी से मिलने वाले पैसे से चलते हैं, जिनमें अलग से बचत कर पाना सबसे बड़ी चुनौती होती है। लेकिन अमूमन, इन परिवारों या छात्रों के बारे सोचना, चिंतन करना अधिकारी भूल जाते हैं।
यहां पढ़ें पूरा आर्टिकल – प्रयागराज में ‘महाकुंभ’ की वजह से बोर्ड परीक्षा का रद्द होना ग़रीब वर्ग से आने वाले छात्रों के लिए बस उनकी चुनौतियों को बढ़ाना है… | UP Board Exam 2025
यह थी खबर लहरिया द्वारा की गई वह पांच खबरें जो कुंभ से जुड़े उन बिंदुओं को दर्शाती है जिसने लोगों को सिर्फ प्रभावित ही नहीं किया बल्कि उनके जीवन पर भी गहरा असर डाला है।
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