मोदी सरकार ने लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाले गए। इस बात को पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा। इसी तरह स्वास्थ्य व विधि मंत्री मंगल पांडेय ने एनडीए सरकार में 3 करोड़ लोगों को गरीबी से निकालने की बात कही। अब सवाल ये है कि क्या सच में जमीनी स्तर पर गरीबी कम हुई है?
हाल ही में विश्व बैंक के आंकड़ों की रिपोर्ट के अनुसार भारत की अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1% से 10 सालों में तेजी से घटकर 5.3% हो गई है। इसका मतलब यह हुआ कि 10 वर्षों की अवधि में लगभग 270 मिलियन लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए हैं। आप विश्व बैंक के द्वारा निकाले गए आंकड़ों को वेबसाइट लिंक पर क्लिक कर के देख सकते हैं।
द प्रिंट की 10 जून की रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने मंगलवार 10 जून को कहा कि मोदी सरकार के पिछले 11 वर्षों में देश में लगभग 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। उन्होंने यह भी कहा कि देश में गरीबों को चार करोड़ मकान और 15 करोड़ परिवारों को नल से जल की आपूर्ति की गई है।
दैनिक भास्कर की न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य व विधि मंत्री मंगल पांडेय ने एनडीए सरकार को श्रेय दिया और कहा बिहार में एनडीए सरकार में 3 करोड़ 77 लाख लोगों को गरीबी से निकाला गया है।
एनडीए राज में गरीबी की दर में आई असाधारण गिरावट। pic.twitter.com/wyYQYkdLu3
— Mangal Pandey (@mangalpandeybjp) June 12, 2025
उन्होंने समानता सम्बन्धी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि गरीबी सूचांक अंक से पता चलता है कि बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में विद्यार्थियों की मौजूदगी, पीने का पानी, बिजली, आवास इन सभी में सुधार हुआ है।
आंकड़ों में भले गरीबी कम होती दिख रही हो पर बिहार में लोग इन सुविधाओं से आज भी वचिंत है। आप खबर लहरिया द्वारा की गई ज़मीनी स्तर की रिपोर्टिंग से समझ सकते हैं कि वास्तव में हकीकत क्या है।
पटना के गांव में 50% परिवारों के पास आवास नहीं
बिहार में आज भी लाखों लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। खबर लहरिया की मई 2024 की रिपोर्ट में सामने आया कि पटना जिले के दानापुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला गांव हरशाम चक में आज भी लोग आवास से वंचित है। गरीब परिवार के लोगों ने बताया कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ गांव में 50% परिवार को योजना का लाभ नहीं मिला है और वह कच्चे घरों में निवास करते आ रहे हैं।
जगदीश जो कि वृद्ध हैं बताते हैं कि उन्होंने आवास योजना का फॉर्म तो भरा लेकिन उन्हें आवास मिला नहीं। ब्लॉक में भी गए, मुखिया ने भी भगा दिया कि जाओ यहां से। इस गांव के अधिकतर लोग कच्चे घरों में रहते हैं और मजूदरी कर के अपना पेट पालते हैं।
बिहार में शिक्षा की हालत जर्जर
शिक्षित होना और शिक्षा व्यवस्था का मजबूत होना आज के समय में बेहद जरूरी है। शिक्षा जहां दी जाती है और जहां बच्चे शिक्षित होते हैं, उस जगह का सुरक्षित होना भी आवश्यक है। विद्यालय जहां आप शिक्षा पाकर ही अपने आप को, अपने परिवार और अपने समाज को सुरक्षित रख सकते हैं, लेकिन अगर वही जगह सुरक्षित महसूस न करवा पाए तो? मतलब जहां आप बैठकर शिक्षा ले रहे हो या शिक्षा दे रहे हो तो क्या विद्यालय के ढांचे में वो मजबूती है? बिहार के पटना जिले के मसौढ़ी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गांव घोरहुआ मुसहर के प्राथमिक विद्यालय की सच्चाई है, जिसकी इमारत और छत दोनों ही जर्जर हालत में है। दीवारों और छत इतनी कमजोर है कि देखकर हमेशा ये डर बना रहता है कि अभी गिर जाएगी।
बिहार में पानी की समस्या
बिहार में आज भी ऐसे कई गांव हैं जहां पानी नहीं पहुँचा है। कहने को सरकार ने नल जल योजना शुरू की है पर जमीनी स्तर पर लोगों का इस लाभ नहीं मिला है। पटना जिले के नौबतपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला गांव अकबरपुर, जो सावरचक ग्राम पंचायत में स्थित है, वहां के ग्रामीणों का कहना है कि 2021 में उनके गांव में ‘नल-जल योजना’ के तहत हर घर में पानी पहुंचाने के लिए एक समरसेबल पंप लगाया गया था। इस समरसेबल पंप के द्वारा घर-घर पानी मिलना शुरू हुआ, हालांकि टंकी नहीं लगाई गई थी। फिर भी, ग्रामीण इस बात से संतुष्ट थे कि उन्हें पानी मिल रहा था।
बिजली गांव से आज भी गायब
खबर लहरिया की अगस्त 2024 की रिपोर्ट में पाया गया कि लोग कई सालों से गांव में बिजली न होने से परेशान हैं। पटना जिले के पुनपुन ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला गांव राजघाट नवादा में एक महीने से बिजली नहीं है। गांव के लोगों ने बताया कि एक महीने पहले उनके यहां ट्रांसफार्मर जल गया था। अक्सर बिजली की इस समस्या से लोग जूझते हैं। इस गांव में लगभग 600 घर होंगे जिसकी आबादी 3 से 4 हजार के आसपास है। लोग बिजली न होने से दोहरी मार झेल रहे हैं, एक तरफ पानी तो एक तरफ गर्मी।
देश में और देश के कई हिस्सों में आज भी लोगों के पास रहने को आवास नहीं है और पानी, बिजली शिक्षा जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए तरश रहे हैं। राजनीतिक पार्टियां भले कितना बोल लें कि गरीबी दर कम हुई है लेकिन जमीनी स्तर पर भी इसको समझने और सुधारने की बहुत आवश्यकता है।
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