सुप्रीम कोर्ट से नियुक्ति रद्द होने के बाद शिक्षामित्रों को योगी सरकार से भी झटका मिला है। उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने करीब डेढ़ लाख शिक्षामित्रों को दो टूक जवाब देते हुए कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही आगे बढ़ेगी।
पिछले कई दिनों से शिक्षामित्र योगी सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे थे वहीं सरकार के इस जवाब से उनको जोरदार झटका लगा है।
दूसरी तरफ, इससे नाराज शिक्षामित्रों ने यूपी की भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा समायोजन रद्द होने से नाराज शिक्षामित्रों के प्रदेशव्यापी आंदोलन के छठवें दिन 31 जुलाई को अपर मुख्य सचिव आरपी सिंह ने विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया था। ऐसें में शिक्षामित्र से सहायक शिक्षक बने करीब डेढ़ लाख लोगों को अब फिर से शिक्षामित्र के पद पर लौटना होगा। वार्ता में योगी सरकार ने शिक्षामित्रों द्वारा सुझाए गए सभी विकल्पों को ठुकरा दिया।
हालांकि, भाजपा की योगी सरकार ने कहा है कि शिक्षामित्रों का मानदेय 3,500 से 10, 000 रुपये कर दिया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार उन्हें टीईटी पास करने के दो मौके दिए जाएंगे।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित होकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पुन: शिक्षामित्र बने 1.37 लोगों को ही 10 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा। समायोजित होने से वंचित रहे शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने पर फिलहाल सरकार ने कोई निर्णय नहीं किया गया है।