पूरा बुंदेलखंड ही पानी को तरस रहा है। मगर महोबा जिले के खन्ना कस्बे की दलित बस्ती नगरी थोक के लोग तो गड्ढा खोदकर पानी पीने को मजबूर हैं। इस बस्ती तक सरकारी पाइप लाइन पहुंची जरूर है मगर लोगों के पास कनेक्शन नहीं हैं। हैंडपंप हैं नहीं। एकमात्र सहारा है चंद्रावल नदी। मगर गर्मियों के दिनों में यह सूखी ही पड़ी रहती है। ऐसे में यह लोग सूखी नदी के किनारे गुफानुमा गड्ढे खोदते हैं। इन्हें स्थानीय भाषा में चूहा कहते हैं। देखने में बिल्कुल गुफा की तरह। इन गड्ढों में पानी रिस रिसकर आता है। गंदे पानी को कटोरियों से भरभरकर यह लोग अपने कलशे भरते हैं। इस पूरे इलाके का पानी खारा है। यही कारण था इस इलाके के लिए टंकी हमीरपुर जिले में बनवाई गई। मगर इस बस्ती में तो पानी का कनेक्शन ही नहीं है।
जिला महोबा, कस्बा खन्ना। यहां की करीब साठ-पैंसठ साल की हल्की देवी ने बताया कि मैं शादी करके पैंतालिस-पचास साल पहले यहां आई थी। तब से लेकर अब तक यही हाल देख रही हूं। आधी से ज्यादा जिंदगी इन गड्ढों से पानी खरोंचते खरोंचते निकल गई। दयामती ने बताया कि शाम को भीड़ लग जाती है इसलिए दोपहर में पानी निकालने आ जाते हैं। एक एक कटोरी से पानी निकालकर बर्तन भरने पड़ते हैं। पूनम तो मजाक करते हुए यह भी कहती हैं कि एक कहावत है कि चुल्लू भर पानी में डूब मरो। मगर यहां तो सच में चुल्लू भर पानी निकालकर हम जिंदगी जी रहे हैं। यहां बहू बनकर आई उमा ने बताया कि दस साल पहले ही मेरी शादी हुई थी। मैं छतरपुर की हूं। पता होता कि यहां जिंदगी बिना पानी के गुजारनी पड़ेगी तो पूरी जिंदगी कुवांरी रहती, मगर यहां शादी नहीं करती। इन औरतों से पानी की गंदगी के बारे में पूछने पर पूनम नाम की एक लड़की फटाक से बोल पड़ती है कि पहले पानी की जरूरत होती है। जब पानी मिलता है तब साफ पानी के बारे में सोचा जाता है। मगर यहां तो पानी ही नहीं है।
प्यासे जानवरों को पानी की तलाश
जहां महोबा में पानी पर पहरा नजर आया वहीं चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लाक के मिशन रोड में लगे हैंडपंप के पास काफी देर से खड़ी प्यासी गाय पर एक लड़के को तरस आया। हैंडपंप से पानी निकालकर गाय को पिलाता एक लड़का। लेकिन सवाल उठता है कि जानवरों के लिए भी सरकार जिम्मेदार है या नहीं?
पानी पर पहरा
महोबा जिले के कबरई ब्लाक के शंकरपुरवा इलाके में घर के बाहर लगे निजी हैंडपंप में ताला लगा दिया गया है। हैंडपंप के मालिक का कहना था कि लोग हैंडपंप खराब कर देते हैं। वैसे भी सबको पानी पिलाना हमारी नहीं सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन यह तो सबको पता है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी कितनी निभाती है ! पर बस्ती के लोगों ने बताया कि दरअसल यह ऊंची जाति के हैं। इसलिए यह नहीं चाहते कि हम उनके हैंडपंप से पानी भरें।