खबर लहरिया जवानी दीवानी महिलाओं की चुप्पी भी पुरुषों को बना रही है हिंसक

महिलाओं की चुप्पी भी पुरुषों को बना रही है हिंसक

फोटो साभार: आर्मी.मिल

कार्य क्षेत्रों में यौन उत्पीड़न पर महिलाओं की चुप्पी इन घटनाओं को बढ़ाने वाली होती है। हाल ही में, फिल्म निर्माता हार्वे वेनस्टीन और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टेरी) के प्रमुख राजेंद्र पचौरी पर यौन दुराचार के मामले सामने आए। यौन उत्पीड़ण करने वाले प्रभावशाली लोग को उनके काम की वजह से नजरअंदाज कर दिया जाता है। अगर कोई महिला उनके खिलाफ बोलती हैं तो उन्हें इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। कई बार तो नौकरी से हाथ भी धोना पड़ता है, साथ ही मानसिक तनाव के साथ लम्बी कानूनी लड़ाई भी लड़नी पड़ती है। तो ऐसे हालतों को देखते हुए महिलाएं चुप्पी साध लेती हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन शोषण और उत्पीड़न को रोकने के लिए विशेष सुरक्षा देने की बात कही है, जिसके तहत कार्यस्थल (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 में महिलाओं की यौन उत्पीड़न को स्पष्ट किया है। इसके अन्तर्गत किसी संगठन में इसतरह की कोई घटना होती है, तो उसपर संगठन उचित कदम उठाएगा। इसमें झूठी और दुर्भावनापूर्ण शिकायतों के लिए भी प्रावधान है। लेकिन देखा ये गया हैं कि इसतरह के मामलों में संगठन कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, क्योंकि उन्हें कानून के बारे में जानकारी नहीं होती है। साथ ही न पीड़ित महिला ही अपने अधिकारों के बारे में जानती है। दूसरी ओर कार्यस्थल में प्रभावशाली व्यक्ति के प्रभाव के कारण भी ये नहीं हो पाता है।
पचौरी के खिलाफ यौन उत्पीड़ण का आरोप लगाने वाली महिला के अनुसार 2015 में दर्ज इस केस में फौजदारी के केस में अपराध दर्ज में अभी मामला पेंडिंग में है। आरोपी पचौरी भी केस को लम्बा खींचने के लिए अलग-अलग बहाने देते रहते है।
षिकायतकर्ता के अनुसार इस केस को लड़ने में मुझे बहुत से मानसिक और आर्थिक परेषानियों से गुजरना पड़ा। मैं हर दिन संघर्ष कर रही हूं। इस कारण से मैं कोई भी नौकरी पूरे समय के लिए नहीं कर पा रही हूं। पर इतनी परेषानियों के बाद भी मुझे अपनी षिकायत लिखवाने पर अफसोस नहीं है, क्योंकि अफसोस तो गलत काम करने वाले को होना चाहिए।
वो आगे कहती हैं कि मेरा साथ किसी ने नहीं दिया, क्योंकि वह इंसान एक बड़े पद पर है और आगे बढ़ता जा रहा है। इसकारण से लोग उसका साथ सब कुछ जानते हुए भी दे रहे हैं, क्योंकि वह उन लोगों को उनके करियर में फायदा दे सकता है। षिकायतकर्ता आगे कहती हैं कि मेरे साथ कोई नहीं हैं, पर मेरा साहस मेरे साथ है और मैं उसके दम पर केस जीत जाऊंगी।
लेख साभार: इंडियास्पेंड