गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सात साल के प्रद्युम्न के साथ हुई घटना ने देश को हिला दिया। इस घटना ने बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण की तरह सबका ध्यान खींच लिया है। इस बीच एक और शर्मनाक घटना सामने आई, जब हैदराबाद के एक स्कूल में एक छात्रा को उसकी शिक्षिका ने लड़कों के लिए बने शौचालय में खड़े रहने की सजा दी। छात्रा का दोष इतना था कि वह विद्यालय की वर्दी पहनकर नहीं आई थी।
हमारे देश में बाल शोषण होते रहते हैं, लेकिन कभी भी मीडिया और समाज इसे लेकर इतना गंभीर नहीं होती है। इस घटना में भी सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद इसे गंभीरता से लिया गया। कोर्ट ने केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार, सीबीएसई और रेयान इंटरनेशनल स्कूल को नोटिस भेजा और तीन सप्ताह में जवाब मांगा। कोर्ट ने इसे एक स्कूल का मामला न मानकर बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा मामला कहा।
बच्चों के साथ यौन शोषण, अपहरण, हत्या जैसी घटनाएं पहले भी होती रही हैं। पर अधिकतर में खुलासा नहीं होता है। वहीं न मीडिया के प्रकाश में आती है। छोटे और गांवों में इसतरह की घटना होने पर पुलिस में केस तक दर्ज नहीं होते हैं।
चित्रकूट के बरगढ़ क्षेत्र में मस्तान बाबा की कुटी में रहने वाले अरबी शिक्षक कुतुबुद्दीन पर बच्चों के साथ छेड़खानी करने का आरोप लगा। कुतुबुद्दीन बच्चियों के साथ छेड़छाड़ करता और ये बात घर में नहीं बताए, इसलिए उन्हें कुरान की कसम खिला देता। वो ये काम कई समय से कर रहा था, लेकिन कसम के डर के कारण बच्चियां घर में ये बात नहीं बताती। बांदा के तिंदवारी ब्लाक में एक बच्ची के साथ मिठाई लाल नाम के आदमी ने जबरन बलात्कार करने की कोशिश की। बच्ची 12 साल की थी। इन घटनाओं के अलावा भी कई मामले बदनामी के नाम पर खुलते ही नहीं हैं और अगर खुलते हैं तो उन्हें वो स्थान नहीं मिलता जो राजधानी और बड़े स्कूलों की घटनाओं को मिलता है। यदि समाज बाल शोषण की घटनाओं को लेकर हमेशा से संवेदनशील होता तो शायद इस तरह की घटनाओं में कमी आती और हमारे नौनिहाल बचपन को डरकर नहीं बल्कि मस्ती से जीते।
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