आजकल के मौसम में सड़क पर निकलो तो जहां देखो वहां दिखाई देते हैं सिंघाड़े। कहीं ठेलों पर लगा होगा उनका ढेर, तो कहीं सड़क के किनारे लोग सिंघाड़े बेचते बैठे नज़र आएंगे।
चित्रकूट के रामनगर ब्लाक के चोरहा गांव में रहने वाले दया ने अपनी निजी ज़मीन में छोटा सा तालाब बनाया है। उसमें दस साल से सिंघाड़े लगाते हैं और उनको उबाल कर बेचते हैं। इसी से दया का घर का खर्च चलता है। उसका कहाना है कि यह काम करने में मज़ा आता है और खुषी भी होती है।
दया ने बताया कि इस काम को करने में काफी मेहनत लगती है। अगस्त के महीने से तालाब में सिंघाड़े लगाना शुरू किया जाता है। सिंघाड़़े की फसल ज़्यादा पानी में लगाई जाती है। टायर में बैठ के तालाब से सिंघाड़े तोड़ते हैं। फिर उबालकर बेचते हैं। इस काम में पूरा परिवार लगा रहता है। सिंघाड़े बेचने के लिए बोड़ी पोखरी गांव जाना पड़ता है। तब जाकर रोज़ का पांच सौ रुपय की कमाई होती है।
जहां देखो वहां सिंघाड़े
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