खबर लहरिया क्राइम खतरे में बचपन

खतरे में बचपन

आए दिन बलात्कार की घटनाएं हम पढ़ते और सुनते रहते हैं। ये घटनाएं अब इतनी आम हो गई हैं कि टीवी के रिमोट से दूसरे चैनल में जाए या अखबार के पन्ने पलटने तक ही हम इन खबरों को ध्यान में रखते हैं। ध्यान में देर तक रहते हैं, तो निर्भया और कठुवा बलात्कार के मामले, जब क्रूरता की हद पार हो जाती है। शायद बलात्कार की अन्य घटनाएं हमारे समाज की नींद नहीं खोल पाती हैं। खबरों को पढ़ने और लिखने के अपने काम में कई बलात्कार की खबरे लिखी, लेकिन मई के महीने में आई दो बलात्कार की खबरों ने मुझे ये सोचने के लिए मजबूर किया कि क्यों ऐसी घटनाएं हो रही हैं और इन्हें क्यों नहीं रोका जा सकता हैं?

दोनों खबरों में बच्चियों के साथ बलात्कार हुआ था और दोनों घटनाएं बांदा जिले में हुई थी। बांदा के तिंदवारी क्षेत्र में आठ साल की बच्ची के साथ बलात्कार की घटना हुई। इस बच्ची को बलात्कार का अर्थ भी नहीं पता (दुनिया में किसी भी बच्चियों को खेलने कूदने की इस उम्र में ये पता ही हो) लेकिन उसे ये पता है कि उसके साथ कुछ गलत हो गया है। आरोपी शैलेन्द्र यादव ने उसके साथ ये घटना तब की जब वह नहाने के लिए एक सार्वजिनक नल के पास थी। आरोपी को पुलिस ने पकड़ लिया है।

दूसरी बलात्कार की घटना बांदा जिले के जसपुरा क्षेत्र की है, जहां 13 साल की बच्ची के साथ बलात्कार हुआ। आरोपी कोई और नहीं बल्कि रिश्तों को भंग करने वाला उसका पिता है, जो पिछले एक साल से लड़की के साथ बलात्कार कर रहा था। परिवार के लोगों को ये बात पता थी, लेकिन रिश्तों की गरिमा को खत्म करने वाले व्यक्ति को बचाव भी रिश्ते से ही मिल रहा था। बच्ची शिकायत करती लेकिन उसको चुप करा दिया जाता था। एक साल बाद मां ने हिम्मत की और बात सामने आई। आरोपी पर आईपीसी की धारा 367, 376(1),(2) और पॉक्सो कानून 2012 (4) के तहत मुकदमा लिख दिया गया है।

कठुवा रेप केस के बाद कानूनों को सख्त तो बना दिया गया है, जिसके तहत पॉस्को कानून में संशोधन करके 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ बलात्कार के दोषी को मौत की सजा दी जाएगी। इंदौर में तीन महीने की बच्ची के साथ बलात्कार के दोषी को इस कानून सुधार के कारण 23 दिन के अन्दर कानूनी कार्यवाही के बाद फांसी की सजा सुना दी। जो देश के लिए एक नजीर बन गई, लेकिन क्या  सभी बलात्कार के मामलों में इस रफ्तार से काम होगा? ये नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2016 में पॉक्सो एक्ट के तहत बच्चों के साथ बलात्कार के 64, 138 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 3% मामलों में अपराध साबित हुआ है। वहीं इस रिपोर्ट से ये भी पता चलता हैं कि बच्चों के साथ ऐसी घटनाओं को करने वाले 94% मामलों में अपराधी उनके करीबी ही थे। अब इन हालातों में हम अपने आने वाले भविष्य की रक्षा कड़े कानूनों से कैसे करेंगे? मालूम नहीं, क्योंकि इस अपराध की जड़ कहीं न कहीं हमारे आस-पास ही है।

-अलका मनराल

बांदा में बलात्कार की बढ़ती घटनाएं अब आठ साल की बच्ची के साथ हुआ बलात्कार

बांदा जिले में 13 साल की बच्ची के साथ बलात्कार, आरोपी कोई और नहीं है उसका पिता