खबर लहरिया बाँदा कमाल का हुनर

कमाल का हुनर

08-07-15 Mano Banda webजिला बांदा। बुन्देलखण्ड में लोग बैसाख जेठ और असाढ तीन महीने तक खटिया मचिया और खटोलवा बीनने का काम खास कर करते हैं। यह काम सबके बस की बात नहीं हैं।

बांदा जिला के ब्लाक बडो़खर खुर्द के कतरावल गांव के सत्तर साल के सरजू प्रसाद बारह साल की उम्र से ही चारपाई बीनने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि बैसाख में खेतों में उगने वाला कांसा नाम के चारें को काट कर सुखा लेते हैं। सूखने के बाद उसको मोगरी से कुटते हैं और पानी में भिगों देते है। फिर उसको जोड़ते हैं, और सूखने के बाद उसको घिस कर चिकना करते हैं। जिसको तैयार हो जाने के बाद बाध का नाम दिया जाता है। उस बाध से बनती हैं खटिया मचिया और खटोलवा। एक खटिया को बनाने में दो दिन तक लग जाते हैं। मैंने अपने गांव में कई लोगों को यह हुनर सिखाया है पर आज कल के लड़के इस तरह के हुनर को महत्व नहीं देते हैं।
उनको मोबाइल, लैपटाप और कम्प्यूटर के हुनर का ज्यादा षौक है। यह हमारे पुरखों का दिया हुआ हुनर है जिसमें थोड़ा मेहनत करके हम बिना पैसे के अच्छी सुबिधा पा सकते हैं।