खबर लहरिया बाँदा कतौ जमीन मा कब्जा, कतौ बेंचै मा भे लड़ाई

कतौ जमीन मा कब्जा, कतौ बेंचै मा भे लड़ाई

एक घण्टा मा उठाइन घर

एक घण्टा मा उठाइन घर

जिला बांदा, ब्लाक बबेरू, गांव थरथुआ अउर नरैनी ब्लाक, गांव बदौसा, मजरा बंगाली पुरवा। इं दूनौ गांवन मा जमीन का लइके लड़ाई भे रहै। 3 दिसम्बर 2013 का इं मामलन के दरखास तहसील दिवस मा दीन गे है, पै अबै तक सुनवाई निहाय।
थरथुआ गांव का कालीचरन कहिस-“काशी अउर कल्लू के जमीन के बीच से चकरोड़ है। जेहिमा काशी अउर कल्लू मोहिका मेड़बन्दी नहीं डावै देत आय। काशी कहत है कि जब नाप होइगे है तौ कालीचरन अपने खेत मा बंधी डावै। जो हमरे खेत मा डारी तौ लड़ाई होई।” लेखपाल दयाराम शंकर का कहब है कि 27 नवम्बर 2013 का नाप कई दीने रहौं। तबै इं दूनौ सहमत रहैं। अब फेर से लड़ाई करत है। चकरोड के लम्बाई चार सौ मीटर अउर चैड़ाई दुई गाटा है। अब जबै आदेश मिली तौ नापै जइहौं।
बदौसा का बब्बू कहिस कि 18 साल पहिले आपन एक बिसुवा जमीन बंसू का पैंसठ हजार रूपिया मा बेंचे रहौं। 15 हजार रूपिया भर दिहिस रहै अउर दुसरे का बेंच दिहिस। बब्बू का भाई बच्चा कहिन कि हमार जमीन बेचैं का पूरा रूपिया नहीं दिहिस अउर दूसरे का बेंच दिहिस। यहिसे हम स्टे लगावै चाहत रहन। बंसू जेहिका जमीन बेचिस उंई एक दिन मा पचासन मजदूर लगा के बाउंड्री बना लिहिन। जबै दीवाल उठावत रहैं तौ हम बदौसा थाना का सूचना दीन, पै पुलिस जल्दी नहीं पहुंची आय। बंसू के घर मा ताला ला रहै। पड़ोसी पाण्डेय बताइस कि बंसू एक लाख पचहत्तर हजार मा या जमीन बेच दिहिस है। बदौसा थाना का मुंशी महेशप्रसाद कहिस-“हम गांव तौ गये रहन, पै हम का कई सकत हन। तहसीलदार के.पी. विश्वकर्मा कहिस कि उनकर घर-घर का मामला आय।