जिला चित्रकूट, ब्लाक कर्वी, गांव कर्वी माफी, चमड़ामण्डी। यहां के सूरजभान प्रजापति दस साल से मिट्टी के घड़े बनाने का काम करते हैं। यह काम साल के मार्च, अप्रैल और मई के महीने में किया जाता है।
सूरजभान का कहना है कि उनके पिता लोटन प्रजापति भी यही काम करते हैं। घड़ा बनाने के लिए बनकट गांव से लगभग छः किलोमीटर दूर ट्रैक्टर से मिट्टी मंगवानी पड़ती है। एक ट्रैक्टर एक हज़ार रुपए की मिट्टी लाता है। उस मिट्टी से कंकड़ निकालकर उसे फुलाते हैं। बड़े घड़े के हिसाब से पांच किलो या तीन किलो मिट्टी को चाक में रख कर चलाते हैं। चाक में घड़ा तैयार करने के बाद उसे पकाना पड़ता है। इसके लिये दो सौ रुपए के कंडे लग जाते हैं। तैयार घड़ा ज़्यादा से ज़्यादा सत्तर रुपए का बिकता है।
आया घड़ों का मौसम
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