खबर लहरिया चित्रकूट कोलमजरा गाँव की उन्नतीस साल की नई प्रधानः दलित अविवाहित और शिक्षित

कोलमजरा गाँव की उन्नतीस साल की नई प्रधानः दलित अविवाहित और शिक्षित

susheela photo2जि़ला चित्रकूट, ब्लाॅक मऊ, गांव कोलमजरा। पंचायती राज चुनाव में इस वर्ष ज़्यादातर नए नौजवान महिला-पुरुषों ने प्रधान पद में जीत हासिल की है। इनमें से एक से मिलते हैं और जानते हैं कि इनको क्या-क्या समस्याएं उठानी पड़ी हैं। ये हैं चित्रकूट जि़ले के मऊ ब्लाॅक के बरगढ़ क्षेत्र, गांव कोलमजरा की 29 वर्ष की कुमारी सुषीलादेवी। एम.ए. और बी.एड. की हुई सुषीला ने बताया कि वे दलित परिवार से हैं, षादीषुदा नहीं हैं। इसलिए लोगों  ने चुनाव के समय बहुत परेषान किया है। आइए जाने उनकी कहानी उन्हीं की ज़ुबानी-
मेरा होर्डिंग निकालकर  फेंक  दिया, पोस्टर फाड़ दिए। पर्चे दिवारों से निकालकर पैर से कुचले और उनपर थूक दिया। इतना ही नहीं इन्टरनेट के ज़रिए भी लोगों  ने गन्दे-गन्दे षब्दों का इस्तेमाल किया था। साथ ही होर्डिंग में गन्दे षब्द लिखे थे। जो यह सब कर रहे थे वे सब मेरे विरोधी पक्ष के लोग थे साथ ही सब सामान्य वर्ग के थे। जब मुझे पता चला तो मैं उन लोगों  से मिली और कहा कि आप लोग क्यों ऐसा करते हैं? आप सब के सहयोग से तो मैं चुनाव मैदान में खड़ी हूं। समझाने पर लोग मान गए। यह सब देखकर मुझे लग रहा था कि मैं चुनाव नहीं जीत पाऊंगी पर मैंने अपनी मेहनत और लगन नहीं छोड़ी अपना प्रचार-प्रसार करती रही। मेरे गांव से चैदह प्रधान पद के उम्मीदवार थे जिनमें तीन महिलाएं भी खड़ी थीं। यहां पर बीस सालों के बाद अनुसूचित जाति की सीट आई है। इसलिए मैं भी चुनाव में आई हूं। मेरे परिवार में आज तक किसी ने चुनाव नही लड़ा है। मैंने पहली बार चुनाव लड़ा है। लोगों  के ताने सुनसुन कर परेषान थी इसलिए गिनती के दिन मैं मऊ नहीं गई थी। जब लोगों को पता चला कि मैं आगे हूं तो मुझे षाम को लेने आए थे। मैंने दो सौ उनसठ वोट से जीत हासिल की है। मैंने लालसिंह बहेलिया को बीस वोटों से हराया है। मेरे गांव की आबादी तीन हज़ार है जिसमें सोलह सौ इक्कीस वोटर हैं। साथ ही तेरह सदस्य होने थे पर जिनमें से छः लोग ही सदस्य पद के आगे आए हैं। बाकी सदस्यों का बाद में चुनाव होगा जो सदस्य जीते हैं वे सब सर्वण जाति के हैं। मुझे अपनी जीत से बहुत खुषी है। मंैने अपने चुनाव के प्रचार-प्रसार में तीस हज़ार रुपए खर्च किए हैं। 20 दिसंबर को षपथ ग्रहण करवाई जाएगी। उसके बाद हमें प्रधान का बस्ता मिल जायेगा तब हम काम षुरु कर देंगे। मैं गांव के लिए नाली बनवाउंगी। बिजली का अच्छा इंतज़ाम करूंगी। षौचालय, सड़क, अस्पताल, बारातघर और ज़रुरतमंदों को पेंषन दिलाउंगी।  मै  पूरा प्रधान का काम खुद करुंगी। जो लोग मेरे विरोधी हैं उनको दिखा दुंगी कि महिलाएं भी राजनीति और सत्ता संभाल सकती हैं। मैं तो सिर्फ प्रधान बनी हूँ, चाहती हूं कि महिलाओं को इतना जागरुक करुं कि वे प्रधानमंत्री बन सकें। लोग यह कैसे कह सकते हैं कि औरतें और लड़कियां तो सत्ता संभाल ही नहीं सकती हैं! मैं इस सोच को बदलना चाहती हूं।