जाहिद अली एक प्रगतिशील किसान होने के साथ-साथ सब्ज़ी की खेती में भी काफी माहिर हैं। उन्हें कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में ‘बुंदेलखंड सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है।
बांदा जिले के जाहिद अली ने तकनीकी खेती के ज़रिये काफी नाम कमाया है। उनकी यह सफलता और प्रयास कई किसानों के लिए प्रेरणा भी है। वह जिले के अतर्रा कस्बे के रहने वाले हैं।
जाहिद अली ने खबर लहरिया को बताया, पहले खेती के लिए उनके पास ज़मीन भी नहीं थी। उन्होंने 1999 में अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और फिर उसके बाद से ही किसानी में लग गए। खेत नहीं था तो दूसरों के खेतों में काम किया। उनके पिता भी किसानी करते थे जिस वजह से उन्हें भी किसानी में रुचि आ गयी। इस दौरान उन्हें दो नौकरियां मिली। पहली डाक विभाग में जहां उन्होंने सात महीने काम किया और दूसरी आरटीओ विभाग में किया। उनका किसी भी नौकरी में मन नहीं लगा क्योंकि दिलचस्पी तो खेती करने में थी।
आखिर जाहिद ने दोनों नौकरियां छोड़ दी और फिर दोबारा से खेती के काम में जुट गए। आज खेती की बदौलत वह खुश हैं। अच्छा घर व गाड़ी है। बच्चों की परिवरिश से लेकर पढ़ाई-लिखाई भी वह खेती के ज़रिये पूरी कर रहे हैं।
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मददगारों को दिया रोज़गार
जाहिद अली कहते हैं, खेती करने में कई लोग मज़दूर के तौर पर लगते हैं और उन्होंने दर्जनों लोगों को अपने यहां काम भी दिया है। वह अपने खेती के काम से बहुत खुश है क्योंकि इसके साथ-साथ उन्होंने कई गरीब परिवारों को रोज़गार भी दिया है। वह चाहते हैं कि किसान परम्परागत खेती से हटकर नई तकनीक से साथ खेती करें व आगे आएं। जैसे उन्होंने ज़मीन न होने की वजह से बटाई पर खेती लेकर किसानी शुरू की थी और आज वह खुद एक अच्छे काश्तकार हैं।
खेती के लिए मिल चुका है सम्मान
बता दें, जाहिद अली एक प्रगतिशील किसान होने के साथ-साथ सब्ज़ी की खेती में भी काफी माहिर हैं। वह खासतौर से कद्दू, लौकी, खीरा, ककड़ी आदि सब्ज़ियां उगाते हैं। इसके लिए उन्हें कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में ‘बुंदेलखंड सम्मान’ से सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्हें सब्जियों, धान और गेहूं की खेती के लिए अब तक दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं।
वह कहते हैं कि खेती में मेहनत तो है, लेकिन अगर लगन के साथ काम किया जाए तो खेती से बढ़कर कोई व्यवसाय नहीं है। 2006 में उनके पास ज़मीन नहीं थी पर आज 25 बीघा खेती के काश्तकार है। इसके साथ ही जितनी उनके पास खेती है और उससे भी ज़्यादा ज़मीन ठेके पर लेकर खेती करते हैं।
किसानों के लिए हैं प्रेरणा
अली ने बताया, वह किसानों को यह बताते हैं कि सब्ज़ियों का उत्पादन करके वह किस तरह से ज़्यादा कमाई कर सकते हैं। इसके लिए वह किसानों को प्रशिक्षित भी करते हैं।
उनका मकसद है कि उन्नतशील खेती करके सभी किसान खुशहाल हों। उन्हें कृषि विभाग से जुड़े हर कार्यक्रमों में बुलाया जाता है ताकि वह अपने अनुभव को अन्य किसानों के साथ भी साझा कर पाएं।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है।
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