खबर लहरिया Blog Yamuna Floods: 45 सालों में पहली बार बाढ़ का पानी पहुंचा ताजमहल की दीवारों तक

Yamuna Floods: 45 सालों में पहली बार बाढ़ का पानी पहुंचा ताजमहल की दीवारों तक

रामबाग, मेहताब बाग, जोहरा बाग और काला गुंबद जैसे स्मारकों को भी उफनती यमुना नदी के पानी से खतरा हो सकता है।

                                                                                                             यमुना नदी का पानी ताजमहल की दीवारों को छू रहा है/ फोटो – ट्विटर

Taj Mahal: 45 सालों में पहली बार बाढ़ का पानी ताज महल की दीवारों तक पहुंचा है, जो यमुना नदी के जलस्तर बढ़ने का परिणाम है। वहीं बुधवार सुबह राजधानी दिल्ली के पुराने रेलवे ब्रिज पर युमना नदी का जलस्तर 205.6 मीटर दर्ज किया गया है, जो एक बार फिर खतरे के निशान के ऊपर है।

जानकारी के अनुसार, रविवार16 जुलाई को, आगरा में यमुना के जलस्तर ने ‘निम्न बाढ़’ स्तर के निशान को पार किया।

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कई स्मारकों को यमुना के पानी से है खतरा

रिपोर्ट्स कहती हैं कि 17वीं सदी का यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल जलमग्न हो गया है। हालांकि, अधिकारियों ने कहा है कि ताज महल के बेसमेंट में पानी नहीं घुसा है।

रामबाग, मेहताब बाग, जोहरा बाग और काला गुंबद जैसे स्मारकों को भी उफनती यमुना नदी के पानी से खतरा हो सकता है।

यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा मीडिया आउटलेट एनडीटीवी को दिए गए आश्वासन के बावजूद आया है, जिसमें कहा गया था कि विरासत स्थल को कोई खतरा नहीं है, भले ही इतिमाद-उद-दौला के मकबरे के बाहरी हिस्से और ताज महल के पास दशहरा घाट जलमग्न हो गए हैं। .

आगे कहा, “हमने सिकंदरा में कैलाश मंदिर से लेकर ताज महल के पास दशहरा घाट तक नदी घाटों पर बैरिकेड्स लगाए हैं।”

यमुना के स्तर में वृद्धि दो बैराजों – ओखला और गोकुल, मथुरा से पानी छोड़े जाने की वजह से हुई है।

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भारत जलवायु संकट प्रभावित देशों में से एक

अधिकारियों ने बताया कि यमुना, जो हिमालय से कई राज्यों से लगभग 855 मील (1,376 किलोमीटर) दक्षिण में बहती है, पिछले गुरुवार तक बढ़कर 208.57 मीटर (लगभग 684 फीट) हो गई है।

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार, भारत, दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश व जलवायु संकट से सबसे ज़्यादा प्रभावित देशों में से एक है – जो संभावित रूप से देश भर में 1.4 बिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है।

वैज्ञानिक लंबे समय से जलवायु परिवर्तन से होने वाले हानिकारक प्रभावों के बारे में चेतावनी देते आये हैं। अत्यधिक हो रही बारिश और नदियों का बढ़ता जलस्तर जलवायु संकट को देखते हुए चिंतनीय विषय है।

 

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