खबर लहरिया जिला विश्व जल दिवस: मिट गया अस्सी कुआँ चौरासी तालाब का अस्तित्व |

विश्व जल दिवस: मिट गया अस्सी कुआँ चौरासी तालाब का अस्तित्व |

बुंदेलखंड तेरी अजब कहानी ना पेट को पानी ना खेत को पानी! जी हाँ देश में पेयजल के मामले में सबसे अधिक संकटग्रस्त क्षेत्रों में शुमार बुंदेलखंड दशकों से पानी की समस्या से जाना जाता है।  तमाम गांवों-कस्बों-शहरों में जहां अभी भी वक़्त-बेवक्त बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष देखने को मिल जाएगा, लेकिन आज हम आपको ऐसे एक गाँव की कहानी बताएँगे जहां कभी अस्सी कुएं और चौरासी तालाब हुआ करते थे।  जगह-जगह लोगों को पानी मुहैया हो जाता था। इन तालाबों और कुओं से जहाँ एक तरफ भूगर्भ जल स्तर बनाये रखने में मदद मिलती थी तो दूसरी ओर इंसानों और जानवरों को इनसे काफी राहत मिलती थी लेकिन, आज की स्थिति में उस गाँव में पानी का अस्तित्व ही मिट गया है।

इसकी कमी पूरी करने के लिए यहाँ बाँध तो बना दिया गया लेकिन सोचने की बात है कि जो सुकून तालाबों और कुआँ से था क्या रसिन बाँध उसे पूरा कर पायेगा? जिला चित्रकूट ब्लाक कर्वी गांव रशिन गांव तालाब कुआँ पर ऐतिहासिक गाँव था लेकिन अब सभी लुप्त हो गयेl पुराने ज़माने में सभी जानवर पशु पक्षी तालाब में ही पानी पीते और कुआँ से पानी भरते थे।  अब इस समय लोग हैण्डपम्प से पानी भरते हैं। हमारे यहाँ हैण्डपम्प की काफी व्यास्था है लगभग ढाई सौ हैडपम्प लगे हैं। गाँव की आबादी लगभग 13 हजार है 42 मजरा है।

अब तो सरकार के तरफ बाध भी बन गया है।  किसानो को फायदा होगा पर जो पहिले कुआ तालाब से इतिहास था वो खतम हुआl कुछ तालाब गाँव के लोग ही जोत लिए कुछ तालाब मे घर बन गये। इस पर प्रशासन ने ध्यान नही दिया।  लोगों का कहना है जब जब इस गाँव में मीटिंग होती है हम आवाज उठाते हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। और सिंवाई करेगा कौन जब गाँव के ही बड़े लोगों ने ही कब्ज़ा कर रखा चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय/ राज्यमंत्री पीडब्ल्यूडी विभाग ने ऑफ कैमरा बताया कि रिकॉर्ड के आधार पर इसका सर्वे किया जायेगाl फिर निर्णय लिया जायेगा की क्या किया जा सकता है।