काम की भले हो मज़बूरी पर शादी बहुत जरुरी : देखिये बोलेंगे बुलवाएंगे, हँस कर सब कह जाएंगे।
बोलेंगे बुलवाएंगे हँस के सब कह जाएंगें शो मे आप सबका बहुत-बहुत स्वागत है। दोस्तों मैं फिर से आ गयी एक नये मुद्दे के साथ कुछ अटपटी चटपटी अनकही अनसुनी बातों के साथ नारीवादी चश्मा लगा कर।
मैं इस शो में चर्चा करने वाली हूँ शादी पर। हो गये न कन्फ्यूज? यही सोंच रहे होंगे शादी वाला शो तो आप देख चुके हो ,सही सोचा लेकिन ये शो कोरोना वाली शादी पर है। समझे अब, अरे! भाई एक तरफ सरकार लॉकडाऊन लगाए है। दूसरी तरफ शादी की पर्मिशन दे दी। पर्मिशन तो दिया पर क्या किसी भी शादी में सिर्फ 25 लोग होते हैं ,आइए जानते हैं… .
मान लिया की इस माहौल में शादी करने के काफी फायदे हैं। गरीब मां-बाप दहेज से बच गये। अच्छी बात है बल्कि हमेशा बिन दहेज के ही शादी होनी चाहिए। शादी मे ज्यादा लोगों को नहीं बुलाया, खाने के खर्च से बच गये, बरातियों के बस के किराये से बच गये। टेन्ट, गाजा-बाजा के खर्च से बच गये। लेकिन क्या किसी व्यक्ति ने जिनके यहां शादी हो रही है ये सोचा कि अगर शादी मे आने-जाने वालो में से किसी को भी कोरोना हो, उसकी लापरवाही से कितने लोग खतरे मे आ सकते हैं?
लॉकडाऊन के दौरान खूब शादियां देखीं। भीड़-भाड़ भी ऐसा नहीं की बिन दहेज शादी हुई है। लोगों ने नगद भी दिया और बंद दुकाने खुलवा – खुलवा कर दहेज़ भी इकट्ठा करके दिया। ये सब देख कर मुझे तो यही लगा शादी इतनी जरूरी है कि कोरोना महामारी का भी डर नहीं रहा लोगों मे। किस तरह से लोग अपने को अपने परिवार को आस-पास के लोगों रिश्तेदारों को खतरे में डार रहे हैं। तो क्या हुआ शादी तो हो जाएगी क्यूंकि शादी है जरूरी।
तो दोस्तों आपको मेरा ये शो कैसा लगा? अगर आपको मेरा ये शो पसंद आया है तो लाइक करे, सब्सक्राइब करें, कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करके जरूर बताए क्या हैं आपके विचार। चलती हूँ मैं फिर आऊंगी अगले शो में एक और मुद्दे के साथ नारीवादी चश्मा लगाकर।
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