गुजरात में 2002 में हुए गोधरा riots के दौरान, एक ऐसा केस सामने आया जिसने पूरे देश को झगझोड़ कर रख दिया। बिलकिस बानो नाम की एक गर्भवती महिला के साथ इसी हिंसा में सामूहिक बलात्कार किया गया, हिंसक भीड़ ने न सिर्फ उसके साथ बलात्कार किया बल्कि उसके परिवार के लगभग सभी सदस्यों की हत्या कर दी जिसमें उसकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी।
इस हादसे के 6 साल बाद 2008 में, मुंबई की एक अदालत ने इस मामले में 11 व्यक्तियों को सामूहिक बलात्कार और हत्या में शामिल होने के लिए दोषी ठहराया, लेकिन अगस्त 2022 में, गुजरात सरकार ने इन 11 दोषियों को रिहाई की मंज़ूरी दे दी।
दो दशकों से भी ऊपर आत्मसम्मान और साहस की इस लड़ाई में बिलकिस बानो का साथ निभाया उनकी वकील और सुप्रीम कोर्ट की सीनियर advocate शोभा गुप्ता ने। जिनके लिए आज बिलकिस बानो हिम्मत और साहस का दूसरा नाम बन चुकी हैं।
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During the 2002 Godhra riots in Gujarat, a case came to light that shocked the entire country. A pregnant woman named Bilkis Bano was gang-raped in the same violence. The violent mob not only raped her but also killed almost all her family members, including her 3-year-old daughter.
In 2008, 6 years after the incident, a Mumbai court convicted 11 persons in this case for their involvement in gang rape and murder, but in August 2022, the Gujarat government approved the release of these 11 convicts.
Bilkis Bano’s lawyer and senior Supreme Court Advocate Shobha Gupta supported Bilkis Bano in this fight for more than two decades. For whom today Bilkis Bano has become another name for courage.
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