चित्रकूट जिले के कर्वी ब्लॉक पुरवा तरौंहा की रहने वाली महिला की डिलीवरी के दौरान अस्पताल में मृत्यु हो जाने का मामला सामने आया है। मृतिका सुखरानी के पति मइयादीन यादव का आरोप है कि उसकी पत्नी की प्रेगनेंसी में कोई दिक्कत नहीं थी। अल्ट्रासॉउन्ड और बाकी की सारी जांच भी सही थी। 22 नवंबर 2021 को जब उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा उठी तो जानकीकुंड अस्पताल बन्द होने की वजह से जब वह एम्बुलेंस से वापस लौट रहे थे तभी एम्बुलेंस के ड्राइवर ने मइयादीन को बताया कि सोनपुर रोड पर एक एम.एस अस्पताल है, जो की इस समय खुला हुआ है।
उनके पास और कोई रास्ता भी नहीं था। इससे पहले यशोदा अस्पताल में डिलीवरी के दौरान एक महिला की मौत का मामला सामने आया था जिसकी वजह से वह जाने में कतरा भी रहें थें। अस्पताल में जाने के बाद बताया गया कि ऑपरेशन के बाद बच्चे के बचने की गारंटी नहीं होगी। ऑपरेशन के बाद बच्चा तो सुरक्षित था लेकिन महिला की ब्लीडिंग रुक नहीं रही थी।
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महिला के पति ने बताया कि डॉक्टर महिला को उसी हालत में छोड़कर चला गया। उसने डॉक्टर से अपनी पत्नी को दूसरे अस्पताल में ले जाने के बारे में पूछा। वह उसे दूसरे अस्पताल ले ही जा रहा था कि रास्ते में उसकी पत्नी सुखरानी की मौत हो गयी। इसके बाद एम्बुलेंस में बैठा कम्पाउंडर रास्ते में ही उतरकर भाग निकला।
जब वह अस्पताल पहुंचे तो ज़बरदस्ती अस्पताल के लोगों ने महिला के शव को अपने कब्ज़े में ले लिया। उनसे कोरे कागज़ पर साइन करवाया। वह कहते हैं कि न जाने ऐसे ही कितनी मौतें हुई होंगी जिन पर आज तक सही तरह से कार्यवाही नहीं हुई है।
इस मामले में डॉ भूपेश द्विवेदी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी इनका कहना है कि इस मामले की जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं थी l पत्रकारों के माध्यम से खबर मिली है तो इसकी जांच कर के कार्यवाही की जायेगी
अगर ऐसे मामले पहले भी हो चुके हैं तो अभी तक अस्पताल, उसके स्टाफ या डॉक्टर पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई? या फिर ऐसा है कि अस्पताल के कर्मचरियों द्वारा इस बार की तरह हर मृतक के परिवार के साथ ज़बरदस्ती करके मामले को रफ़ा-दफ़ा कर दिया गया?
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