नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सब। मैं मीरा देवी खबर लहरिया की प्रबन्ध संपादक अपने शो राजनीति रस राय में आपका बहुत बहुत स्वागत करती हूं। कांग्रेस पार्टी की भारत जोडो यात्रा 3 जनवरी 2023 से फिर शुरू होगी। जो कि 24 दिसंबर को कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दी गई थी। कांग्रेस पार्टी इसका कारण ज्यादा पड़ रही ठंड से जोड़ रही थी लेकिन कोरोना एक कारण बना। उसने फिर टांग अड़ा दी भले ही वह चुनावों से दूर रहता हो।
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राहुल गांधी जी भारत टूट थोड़े नहीं गया है जो आपने जोड़ने का जन आंदोलन ‘भारत जोडो यात्रा’ शुरू की है। हमारे देश के प्रधानमंत्री रात दिन भारत को जोड़ने का काम कर रहे हैं इसीलिए वह देश के ज्यादातर राज्यों को बीजेपी शासित राज्य बनाते जा रहे हैं। वोटर इस बात के जीते जागते उदाहरण हैं हालांकि ईवीएम के घपले भी उजागर होते रहते हैं। आपको क्या लगता है कि इस आंदोलन को करने से सालों से लगातार गिरता कांग्रेस के प्रति प्रेम मतदाता में उमड़ पड़ेगा? जबकि इसका फायदा आपको मिला है हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाने का मौका मिल गया है।
खैर जाने दीजिए इस बात को। इस जन आंदोलन से इतना तो समझ में आने लगा है कि जो आरोप कांग्रेस पर लग रहे थे कि कांग्रेस करती ही क्या है। शायद अब आपका काम उन लोगों को दिखे। पर ये भी है कि लोग जान रहे हैं कि यह आप क्यों कर रहे हैं। भाई लोकसभा का चुनाव जो आने वाला है। आपके भाषण के कुछ बातें लोगों को आकर्षित कर रही हैं। जैसे नफरत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकान खोल रहा हूं।
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बहुत सारे करीबी और अनुभवी कांग्रेसी नेताओं ने आपका साथ छोड़ दिया था। क्या वह नेता आपके साथ आएंगे? दोबारा कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर लेंगे? बुंदेलखंड में कांग्रेसी नेताओं में से बांदा जिले के मंत्री रह चुके स्वर्गीय कुंवर विवेक सिंह का परिवार क्या कांग्रेस से खुश होगा? हमीरपुर के राठ से पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी, जालौन के उरई से विधायक रहे विनोद और महोबा के दिग्गज कांग्रेसी नेता मनोज तिवारी को वापस पार्टी में ला पाएंगे? उससे बड़ा सवाल कि क्या नेताओं के साथ साथ मतदाताओं को भी कांग्रेस जोड़ पाएगी?
इस आंदोलन से मिल रहे परिणाम को देखकर क्या अन्य पार्टियों के साथ बसपा पार्टी कुछ सीख लेगी? हो सकता है बसपा सुप्रीमो मायावती लोकसभा चुनाव की तैयारी अंदर ही अंदर कर रही हों लेकिन एक बड़ा बदलाव लाने के लिए कुछ बड़ा करने की जरूरत है चाहे वह कोई भी राजनैतिक दल हो। आपके लिए एक सवाल कि क्या राहुल गांधी की छवि चमकेगी?
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