खबर लहरिया Blog यूपी : जननी सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं को सालों बाद भी नहीं मिला पैसा, आशा बहुओं से लोगों का उठ रहा विश्वास

यूपी : जननी सुरक्षा योजना के तहत महिलाओं को सालों बाद भी नहीं मिला पैसा, आशा बहुओं से लोगों का उठ रहा विश्वास

केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी जननी सुरक्षा योजना के लाभ से गरीब व ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं आज भी वंचित है जबकि योजना की शुरुआत उन्हीं के लिए की गयी है।

UP news, Under Janani Suraksha Yojana, beneficiary women did not get money even after years

                                                                                      सांकेतिक फोटो ( फोटो साभार – खबर लहरिया)

जननी सुरक्षा योजना की शुरुआत 12 अप्रैल 2005 को हुई थी जिसके अंतर्गत जो महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे आती हैं, उन गर्भवती महिलाओं को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी। बता दें, योजना का लाभ सिर्फ गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली महिलाएं ही उठा सकती हैं।

योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को 1400 रूपये व शहरी क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को 1000 रूपये देने का नियम है। खबर लहरिया ने रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि प्रसूता महिलाएं आर्थिक मदद के लिए नवजात शिशु को गोद में लिए अस्पतालों के चक्कर लगाती हुई नज़र आईं।

बाँदा जिले के जनपद में ग्रामीणों द्वारा आरोप लगाया गया कि अफसरों की सुस्ती की वजह से गर्भवती महिलाएं योजना का लाभ नहीं उठा पा रही हैं।

ये भी देखें – यूपी प्रवीण योजना के तहत वाराणसी जिले के ग्राम पंचायत में खोली जा रही निःशुल्क लाइब्रेरी

योजना के तहत नहीं मिला कोई भी लाभ

गुढ़ा ग्राम पंचायत के मजरा शियर पखा की नीलम बताती हैं, साल 2019 में उनका पहला बच्चा नरैनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ था लेकिन जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाला पैसा उन्हें आज तक नहीं मिला। उन्हें अब दूसरा बच्चा भी हो चुका है।

वहीं नियम यह कहता है कि योजना के तहत महिलाओं को मुफ्त दवाएं, खाद्य पदार्थ, मुफ्त इलाज आदि प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा सामान्य प्रसव के मामले में 3 दिन तक मुफ्त पोषाहार भी दिया जाएगा लेकिन इनमें से किसी भी सुविधा का लाभ नीलम को नहीं मिला।

नीलम गरीब है। परिवार भी मज़दूरी से चलता है ऐसे में जब उनके लिए बनी योजनाओं का लाभ पाने के लिए उन्हें सालों भटकना पड़ता है तो उनके लिए यह योजनाएं एक समय तक व्यर्थ नज़र आने लगती हैं।

इसी पुरवे की अन्य महिला किरन ने बताया कि साल 2018 में उनका पहला बच्चा हुआ था। वहीं एक साल बाद उन्हें दूसरा बच्चा भी हो गया। अभी तक उन्हें दोनों ही डिलिवरियों के पैसे सरकार द्वारा नहीं मिले हैं। योजना के तहत मांगे गए सभी ज़रूरी दस्तवेज़ भी उनके द्वारा जमा करवाए जा चुके हैं। कई बार इस बारे में आशा कार्यकर्ता को भी कहा गया पर कुछ नहीं हुआ।

रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया कि कई महिलाओं द्वारा बाद में नसबंदी भी करा ली गयी। वहीं नियम यह कहता है कि घर में अगर पति या पत्नी बच्चे के जन्म के बाद नसबंदी करा लेते हैं तो उन्हें सरकार द्वारा मुआवज़ा राशि भी दी जायेगी। इसका भी लाभ ग्रामीण क्षेत्रों में योजना की लाभार्थी महिलाओं को नहीं मिल पाया है।

पैसा न आने पर आशा बहुओं को करना पड़ता है गुस्से का सामना

शियर पखा व शंकर पुरवा की आशा कार्यकर्ता शोभा ने हमें बताया कि योजना के तहत जब लाभार्थियों को पैसा नहीं मिलता तो उन्हें भी लोगों के ताने व अभद्रता का सामना करना पड़ता है। उनसे कहा जाता है कि, “आशा ने पैसे खा लिए।”

आगे बताया कि वह भी हर रोज़ अस्पताल के चक्कर काटती हैं और अधिकारीयों से बात करती हैं। अधिकारी बस आश्वासन देते हैं लेकिन पैसा कब आएगा इसका कुछ पता ही नहीं चलता।

अब ऐसे में ग्रामीणों का आशा कार्यकर्ता के ऊपर से विश्वास उठ गया है। उनका गांव में रहना मुश्किल हो गया है।

ये भी देखें – यूपी भाग्य लक्ष्मी योजना : माता-पिता को मिलेंगे 2 लाख, जानें पात्रता व आवेदन प्रक्रिया

पुरानी डिलिवरीज़ का नहीं है आंकड़ा

जब नरैनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्लॉक लेखा अधिकारी से इस बारे में बात की गयी तो उनका कहना था कि वह खुद परेशान हैं। साल 2021 में वह आये थे। नियम के अनुसार सबको पैसा मिला जाता है। हाँ, बस 5 दिन की देरी हो सकती है या किसी का कागज़ या खाता गलत होगा इसलिए उनका पैसा नहीं पहुंचा होगा। जो पुरानी डिलीवरी हुई है, उसका आंकड़ा उनके पास नहीं है। पुराने अधिकारी द्वारा इसका आंकड़ा नहीं रखा गया था।

पुरानी डिलिवरीज़ का रिकॉर्ड न होने की वजह से कई लोगों के पैसे रुके हुए हैं। ऐसे में बस अधिकारी का यही कहना है कि वह अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रहे हैं हालांकि आंकड़ा मिलना काफी मुश्किल है।

वहीं नरैनी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ही अधीक्षक डॉक्टर जीवन पटेल का कहना है कि सूची तैयार कर ली गई है और लखनऊ भेज दी गई है। जैसे ही पैसा आता है लोगों के खाते में डाला जाएगा। पुराने पैसे में कुछ समस्या हो रही है लेकिन फिर भी उनकी तरफ से कोशिश और सुधार ज़ारी है।

योजना के तहत कहा गया कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करनी वाली गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी सभी ज़रूरतों को पूरा नहीं कर पातीं। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं का मिल पाना भी काफी मुश्किल नज़र आता है जिसे देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को शुरू किया गया जोकि हमें इस आर्टिकल में भी देखने को मिला।

वहीं यहां यही देखा गया कि सुविधा की पहुँच की समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अधिकारी बस आश्वासन देते नज़र आ रहे हैं। पैसे न मिलने पर ग्रामीणों का आशा कार्यकर्ताओं से विश्वास उठ रहा है जो कहीं न कहीं योजना के तहत प्रशासन द्वारा बरती जा रही ढील की तरफ इशारा करती हैं।

इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गयी है। 

ये भी देखें – पानी की आम समस्या को नहीं सुलझा पा रही नमामि गंगे, जल जीवन मिशन जैसी बड़ी परियोजनाएं

 

‘यदि आप हमको सपोर्ट करना चाहते है तो हमारी ग्रामीण नारीवादी स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें और हमारे प्रोडक्ट KL हटके का सब्सक्रिप्शन लें’

If you want to support  our rural fearless feminist Journalism, subscribe to our  premium product KL Hatke