खबर लहरिया Blog पानी की आम समस्या को नहीं सुलझा पा रही नमामि गंगे, जल जीवन मिशन जैसी बड़ी परियोजनाएं

पानी की आम समस्या को नहीं सुलझा पा रही नमामि गंगे, जल जीवन मिशन जैसी बड़ी परियोजनाएं

एक गाँव में होती पानी की समस्या को आम कहकर उसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, यह कहकर कि यह तो सिर्फ एक ही गांव की समस्या है पर उस गांव में बसने वाली सैकड़ों की आबादी की तरफ नहीं देखा जाता जिसकी याद सिर्फ चुनाव के समय आती है। सिर्फ उसी समय वह देश के नागरिक होते हैं। उसके अन्य दिनों तो वह बस एक आम ग्रामीण होते हैं, जिनकी आम समस्या पानी है। इतनी आम कि अधिकारी तक इसके समाधान की तरफ गौर नहीं करते।

            केन नदी से पीने के लिए पानी भरता हुआ एक ग्रामीण ( फोटो – खबर लहरिया )

“अभी भी हम लोग नदी का पानी पीने को मजबूर हैं क्योंकि गांव में जो हैंडपंप लगे हैं उसका पानी खारा है” – चेहनु ने कहा। चेहनु, हमीरपुर जिले के वही बुज़ुर्ग व्यक्ति हैं जिनका दलदल में फंसे होने का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रहा है।

चेहनु ब्लॉक मौदहा, तहसील मौदहा, गाँव छानी के रहने वाले हैं। खबर लहरिया को दिए इंटरव्यू में बुज़ुर्ग व्यक्ति चेहनू ने बताया कि वह रोज़ाना की तरह सुबह 11 बजे केन नदी पानी लेने गए थे। वह पानी लेकर वापस आ रहे थे तो पैर दलदल में फंस गया और गांव वालों ने उन्हें बाहर निकाला।

बता दें, जिले में इस समय नमामि गंगे परियोजना के तहत हर गांव में पानी की पाइपलाइन बिछाई जा रही है। खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, गांव छानी में भी पानी की पाइपलाइन बिछा दी गयी है लेकिन अभी उसमें पानी नहीं आता।

नमामि गंगे परियोजना के चालू होने के बावजूद भी पानी के लिए जद्दोजेहद करते बुज़ुर्ग व्यक्ति के इस वीडियो ने एक बार फिर से सरकार की चरमराती योजनाओं पर ज़ोरदार थप्पड़ मारा है जो यह कहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों तक जल जीवन मिशन आदि जैसी पानी की योजनाओं की पहुँच है। हर घर साफ़ पानी पहुंच रहा है।

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गंदा पानी पीना है मज़बूरी

चेहनु कहते हैं, “भले ही हर गांव में सुविधा हो लेकिन हमारे गांव में पानी की सुविधाएं नहीं हैं। गांव में हैंडपंप तो ज़रूर से लगे हुए हैं पर उनका पानी इतना खारा निकलता है कि उससे खाना भी नहीं बना सकते। गंदा पानी पीना उनकी मज़बूरी है।”

पानी की वजह से नहीं होते संबंध

Big projects like Namami Gange, Jal Jeevan Mission are unable to solve the problem of water crisis in villages

                 नदी से पीने के लिए साफ़ पानी तलाशती हुई महिला ( फोटो- खबर लहरिया)

“हम लोगों के गांव के आधे से ज़्यादा लड़के बैठे हुए हैं। पानी की वजह से संबंध तक नहीं होते। चाहें कुछ हो, नदी का पानी ही पीना पड़ता है। यह पहली समस्या नहीं है। यहां आये दिन लोग दलदल में घुसते हैं और बाहर निकलते हैं।” – फूला देवी ( गांव छानी की निवासी)

आखिर कोई अपनी बेटी का ब्याह उस गांव क्यों ही करेगा जहां लोग पानी के लिए भी तरस रहे हैं।

‘नदी के पानी से कुछ नहीं होता’ – ग्रामीण

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वीडियो वायरल होने के बाद गांव में ग्रामीणों के लिए पानी का टैंकर बुलाया गया (फोटो- खबर लहरिया)

खबर लहरिया को मिली जानकारी के अनुसार, जब चेहनु का वीडियो वायरल हुआ तब जाकर गाँव में 12 किलोमीटर दूर से पानी के 5 टैंकरों को बुलाया गया। वहीं गांव वालों का कहना है कि टैंकर का पानी सारे लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है।

लोगों ने हमें बताया कि 12 किलोमीटर दूर से जो अब पानी के टैंकर मंगाये गए हैं, उनके पास वहां तक पहुँचने की भी सुविधा नहीं है। उनके गाँव के आस-पास का पूरा इलाका जंगली है।

आगे कहा कि उन्हें नदी का पानी पीने से कुछ नहीं होता लेकिन हां, हैंडपंप का पानी पीने से उनका स्वास्थ्य खराब हो जाता है। उन्हें उलटी, दस्त जैसी बीमारियां हो जाती हैं जो खराब पानी पीने के परिणाम है।

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अधिकारीयों के अधूरे जवाब

खबर लहरिया को बताते हुए गांव के प्रधान राजेश कहते हैं, छानी गांव में 39 हैंडपंप, 6 कुएं और एक तालाब है। तीन कुएं गांव के अंदर और तीन खेत में है। वैसे उन्होंने लोगों को नदी का पानी पीने के लिए मना किया है। अब लोग खारा पानी पीते हैं तो वह क्या ही कर सकते हैं।

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    हाथ में पानी का मटका लिए साफ़ पानी की तलाश में निकला ग्रामीण ( फोटो- खबर लहरिया)

भैरव प्रसाद, मौदहा विकासखंड अधिकारी बताते हैं, गांव में पाइपलाइन डलवाई जा रही है। हम क्या ही व्यवस्था कर सकते हैं। जब तक पाइपलाइन नहीं होगी तब तक यही स्थिति रहेगी।

नमामि गंगे परियोजना को लेकर क्या कहती हैं रिपोर्ट्स?

नवभारत टाइम्स की मार्च 2022 की रिपोर्ट कहती है कि बुंदेलखंड में पानी की समस्या के स्थायी समाधान के लिए पीएम मोदी ने जल मिशन के तहत नमामि गंगे परियोजना की बड़ी सौगात दी थी। इस परियोजना को लेकर साढ़े छह अरब रुपये (650 करोड़) का फंड भी कार्यदायी संस्थाओं को दिया गया था।

रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले साल से ही यह कार्यदायी संस्थाएं यहां निर्माण कार्य करा रही हैं लेकिन अभी तक यह कार्य 60 फीसदी भी नहीं हो पाया है। वहीं परियोजना के निर्माण में अभी तक 55 फीसदी फंड खर्च हो चुका है।

अभी हाल ही में यूपी के कई जिलों में बाढ़ आने की खबरें भी सामने आयी थी। इस बाढ़ में लोगों की आशाओं के साथ धरातल पर चल रही करोड़ों को योजनाएं भी बह गयी।

नवभारत टाइम्स की ही अगस्त 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, नमामि गंगे परियोजना के तहत हमीरपुर जिले में यमुना नदी पर 242.65 लाख रुपये की लागत से बने इंटेकवेल के कई पिलर बाढ़ में तबाह हो गए थे। वहीं कई इंटेकवेल टेड़े हो गए थे जिसके बाद ग्रामीणों में काफी गुस्सा देखने को मिला था। यहां तक निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठाये जा रहे थे।

इसके आलावा पानी की समस्या को हल करने के लिए पीएम मोदी द्वारा साल 2019 में यूपी में जल जीवन मिशन योजना की भी शुरुआत की गयी थी। यह योजना भी ज़रूरतमंद ग्रामीण क्षेत्रों तक नहीं पहुँच पाई।

ऐसे में सिर्फ कहने के लिए जिले में नमामि गंगा परियोजना, जल जीवन मिशन आदि योजनाएं चल रही हैं। इसके बावजूद ग्रामीणों के लिए साफ़ पानी का अकाल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। चेहनु जैसे न जाने कितने ही ग्रामीण अभी-भी साफ़ पानी की प्राप्ति के लिए हर दिन लड़ाई लड़ रहें हैं। हर कोशिश के बाद भी जब साफ़ पानी तक वह पहुंच नहीं पाते तो वह खारे और गंदे पानी को ही वह अपनी किस्मत समझ उसका सेवन करते रहते हैं।

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