खबर लहरिया जिला शादी मउर छूना, न बाबा न। बोलेंगे बुलवायेंगे शो

शादी मउर छूना, न बाबा न। बोलेंगे बुलवायेंगे शो

जीवनसाथी के गुजरने का दुःख स्त्री और पुरुष दोनों को एक जैसा होता है, फिर सारी संवेदनाएं पुरुष की तरफ और सारी पाबंदियां महिला के हिस्से क्यों आ जाती हैं? उसके गले में ‘विधवा का टैग’ डालकर कदम-कदम पर ये एहसास क्यों दिलाया जाता है कि उसकी जिंदगी में अब सब कुछ खत्म हो गया है?

आज हम बात कर रहे हैं शादी की। शादियों में विधवा महिलाओं को दूल्हे का मौर नहीं छूने दिया जाता।

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