नमस्कार, मैं मीरा देवी, खबर लहरिया की प्रबन्ध संपादक अपने शो राजनीति, रस, राय में आप सबका बहुत-बहुत स्वागत करती हूं। बीजेपी की इस बार हुई जीत में महिला मतदाताओं का बड़ा हाथ माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बीजेपी पार्टी की जीत के बाद आधी आबादी को धन्यवाद दिया और महिलाओं मतदाताओं की भूमिका की चर्चा की।
इसीलिए उम्मीद जताई जा रही थी कि मंत्रिमंडल में इस बार ज्यादा महिलाओं को जगह दी जाएगी लेकिन 2017 विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार महिलाओं को कम जगह मिली। 2017 में बीजेपी से जहां 34 महिलाएं विधानसभा पहुंची थीं वहीं 2022 में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों से 33 महिलाएं ही विधानसभा पहुंच सकीं हैं। जबकि इस बार महिलाओं ने ज्यादा संख्या में जीत दर्ज की। साल 2017 में जहां 40 महिलाएं विधायक जीत कर आई थीं वहीं हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में ये संख्या 48 पहुंच गई।
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अगर बुंदेलखंड की 19 सीट की बात की जाए तो यहां से एक भी महिलाओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। हालांकि बुंदेलखंड की जनता इसलिए खुश है कि बांदा जिले की तिंदवारी सीट से विधायक बने रामकेश निषाद को राज्यमंत्री बनाया गया है। वह पहली बार विधायक बने और मंत्रिमंडल में जगह भी बनाई।
आइये एक नजर डालते हैं 2022 में कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र से बने उन छह विधायकों पर जिनको मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। राकेश सचान, कानपुर देहात (कैबिनेट मंत्री) असीम अरुण, कन्नौज (स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री) मन्नू कोरी, ललितपुर (राज्यमंत्री) अजीत पाल, कानपुर देहात (राज्यमंत्री) प्रतिभा शुक्ला, कानपुर देहात (राज्यमंत्री) रामकेश निषाद, बांदा (राज्यमंत्री)
चलिए भले ही वह कानपुर से हैं लेकिन एक महिला को जगह तो मिली मंत्रिमंडल में।
महिलाओं को नारो में, योजनाओं में मुखिया बनाने में और महिलाओं से हक के साथ वोट मांगने वाली बीजेपी पार्टी उनको मंत्रिमंडल में जगह देने से चुनाव दर चुनाव पीछे क्यों चली जा रही है? क्या महिला मतदाताओं को इस मुद्दे की भी मांग करनी पड़ेगी? इस मुद्दे पर आपके क्या विचार हैं मुझे कमेंट बॉक्स में लिख भेजिए। अभी के लिए बस इतना ही। अगली बार फिर आऊंगी किसी नए मुद्दे के साथ तब तक के लिए नमस्कार।