यूपी में जातिगत हिंसा बढ़ती जा रही है। हर दिन कोई न कोई नया केस या घटना सुनने और देखने को मिलती है। सोशल मीडिया में कई ऐसी घटनाएं वायरल भी हुई है। चाहे दलित लड़के को बंधक बना कर मारने का मामला हो या मुज़फ्फरनगर जिला के पावटी खुर्द गाँव में पानी को लेकर डिग्गी पिटवाने का मामला हो जिसमे कहा गया है कि कोई भी चमार डोल समाधि में पानी भरते दिख गया तो पांच हजार रूपये जुर्माना और पचास जूते पड़ेगे। या फिर महोबा जिला के सरकारी स्कूल में दलित लड़की ने टीचर के घड़े से पानी-पीने के कारण टीचर द्वारा दलित लड़की को डांट लगाना। इसके अलावा और भी घटनाएं हैं। आप ही बताइये क्या ये दलितों के साथ हिंसा नहीं है?
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क्यों दलितों पर अत्याचार किया जाता है? स्कूल जहां पर बच्चा आने वाले भविष्य को सीखता है। वहां पर स्कूल का मास्टर ऐसा करेगा तो बच्चे कैसे आगे बढ़ पाएंगे? एक तरफ सरकार कहती है कि जो लोग समाज में विभाजन पैदा करना चाहते हैं, जाति, मत-मजहब, क्षेत्र और भाषा के आधार पर बांटना चाहते हैं, हमें उन्हें बेनकाब करना होगा। जो लोग हमें गुलामी के कालखंड की ओर धकेलने की कुत्सित चेष्टा कर रहे हैं, उनसे सावधान रहना होगा। ये बाते लिखने और बोलने में कितनी अच्छी लगती हैं न लेकिन उसी का उल्टा हो रहा। सरकार ये जान भी रही है कि ऊची मानी जाने वाली जाति के लोग दलितों के साथ छुआ छूत मानते हैं। लेकिन कार्यवाई बहुत कम होती है।
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दोस्तों इस मुद्दे पर आपको क्या लगता है? अगर आपके पास मुद्दे से जुड़े कोई भी सवाल हैं तो हमें लिख भेजिए। अगले एपिसोड में उस सवाल पर चर्चा करेंगे। नमस्कार!!
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