खाते वक्त अगर कंकड़ का एक भी दाना मुंह में पड़ जाता है तो पूरे मुंह का स्वाद खराब हो जाता है लेकिन वाराणसी जिले की कुसमावती हर दिन एक पाव से आधा किलो तक बालू खाती है। बालू का सोंधापन इनको अपनी लत में इस कदर जकड़ रखा है कि अगर वह बालू न खाएं तो उन्हें नींद नहीं आती।
कुसमावती की माने तो 14 साल की उम्र से किसी वैद्य के कहने पर कंडे की राख खाना शुरू किया था जो धीरे-धीरे बालू में बदल गया है। और अब भी 70 वर्ष की उम्र में भी ऐसी लत लगी है कि सुबह चाहे नाश्ता भले न करती हों, लेकिन समय से बालू जरूर खाती हैं। आश्चर्य की बात है की डाक्टरों के चेकअप के बाद पता चला था की वह पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं।
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बेहतर स्वास्थ्य के लिए जानी जाती हैं कुसमावती
कुसमावती की पड़ोसी ने बताया कि कुसमावती कभी बीमार नहीं पड़ती। दिनभर काम करती रहती हैं। जानवरों को चारा-पानी देना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। बालू खाने का तरीका भी अनोखा है। बहुत अच्छे से बालू को धोती हैं फिर सुखाती हैं फिर खाती हैं। बालू की कई सारी हाड़ियाँ हैं जिसमें भरकर रखती हैं और दिन में जब भी उनका मन होता है खाती रहती हैं।
डॉक्टर आरबी यादव अधीक्षक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर का कहना है कि बालू खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। इतना दिनों से खाकर भी वह बीमार नहीं हिन तो गर्व की बात है, लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए मैं कहना चाहूंगा कि वह कोई भी बालू, मिट्टी या राख न खाएं। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
बीबीसी की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के मनोरोग चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष प्रो. संजय गुप्ता का मानना है, “यह “पाइका” नाम की बीमारी का ही रूप है जिसमें न खाने वाली चीज़ें भी इंसान खाने लगता है। वह बीमार नहीं होतीं तो शायद इसलिए क्योंकि बालू के ज़रिए वह अपने शरीर में किसी कमी को पूरा करती हैं।” उन्होंने ये भी बताया कि चिकित्सीय तौर पर बालू खाने की लत से शरीर को नुकसान होने की आशंका बनी रहती है।
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पाइका और उसके लक्षण
पाइका एक तरह का विकार यानी डिसॉर्डर है। पाइका से ग्रसित व्यक्ति कुछ भी खाते हैं, खासकर के वे ऐसी चीजें खाते हैं जिसमें किसी भी तरह का कोई पोषक तत्व नहीं होता है। इस डिसॉर्डर में व्यक्ति बर्फ, मेटल, मिट्टी, सूखे पेंट या अन्य खतरनाक वस्तु खाने लगते हैं। जिससे व्यक्ति के शरीर में जहर फैलने या नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।
अक्सर पाइका बच्चों और गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखा गया है। अमूमन पाइका डिसॉर्डर कुछ समय के लिए ही होता है। वहीं, जो मानसिक रुप से अक्षम व्यक्ति हैं उनमें भी पाइका की शिकायत पाई गई है।
इन खाद्य पदार्थों को खाने से हो सकती है यह कमी
– आयरन की कमी
– एनीमिया यानी खून की कमी (anemia)
– कब्ज़ या दस्त की समस्या
– मिट्टी खाने से आंतों में संक्रमण, क्योंकि इसमें परजीवी या संक्रमण हो सकते हैं।
( नोट- किसी भी व्यक्ति को मिट्टी, राख, चॉक या बालू खाने की आदत है तो उन्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए। समय से इलाज होने पर परेशानियों और साइड इफेक्ट्स का खतरा कम हो जाएगा।)
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