चित्रकूटधाम मंडल के बांदा जिले में कई सरकारी नलकूप ठप पड़े हुए हैं। विभाग इनमें यांत्रिक और विद्युत खराबी बता रहा है। किसान रबी की बुआई के लिए मुंहमांगी कीमत देकर प्राइवेट नलकूपों से पलेवा के लिए पानी ले रहे हैं। वहीं जो छोटे काश्तकार हैं उनके पास इतना पैसा नहीं कि वह पैसे देकर पानी ले सकें।
यूपी: किसानों को पलेवा करने में मुश्किल आ रही है। कहीं खराब सरकारी ट्यूबवेल है तो कहीं पंप कैनाल लीकेज किसानों के लिए समस्या बनी हुई है। चित्रकूटधाम मंडल के बांदा जिले में सरकारी नलकूप खराब होने की वजह से किसानों को पलेवा करने में देरी हो रही है। इस समय रबी फसल की खेती होती है जिसमें चना,मटर,गेहूं इत्यादि फसलों की बुआई होती है। चना और मटर की बुआई तो जैसे-तैसे किसानों ने कर दी लेकिन पर्याप्त पानी न मिलने की वजह से गेहूं की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं।
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सरकारी नलकूप हैं खराब
चित्रकूटधाम मंडल के बांदा जिले में कई सरकारी नलकूप ठप पड़े हुए हैं। विभाग इनमें यांत्रिक और विद्युत खराबी बता रहा है। किसान रबी की बुआई के लिए मुंहमांगी कीमत देकर प्राइवेट नलकूपों से पलेवा के लिए पानी ले रहे हैं। वहीं जो छोटे काश्तकार हैं उनके पास इतना पैसा नहीं कि वह पैसे देकर पानी ले सकें।
खराब नलकूप को लेकर कोई समाधान नहीं
खप्टिहा कलां में किसानों के लिए पहले सरकार द्वारा कई राजकीय नलकूप लगवाए गए हैं। पिछले तीन महीने से ट्रांसफार्मर खराब पड़ा है। नलकूप ऑपरेटर को लिखित में शिकायत भी दी गई है लेकिन फिर भी इस पर कोई काम नहीं हुआ है। किसानों का कहना है कि अगर समय से खेतों में पलेवा न हुआ तो वे समय से खेत नहीं बो पाएंगे जिससे उन्हें भारी नुकसान होगा। परिवार भुखमरी की कगार पर भी आ सकता है।
ट्यूबवेल ठीक हो जाता तो किसान खुश हो जातें
जसपुरा के किसान राम मनोहर के पास 10 बीघा ज़मीन है जो पलेवा के लिए पड़ी हुई है। उन्होंने सोचा था कि पलेवा करके वह गेहूं बो देंगे और साल भर के खाने के लिए हो जाएगा पर पानी ही नहीं है। उनके पास इतना पैसा नहीं कि बोर लगवा सकें। सरकारी नलकूप और बारिश के सहारे ही उनकी खेती होती है। सरकारी नलकूप नंबर-3 काफी समय से खराब है। उन्होंने निजी ट्यूबवेल धारकों से 500 रूपये प्रति घंटे के हिसाब से पलेवा करवाया है। उन्हें यह चिंता है कि पलेवा तो उन्होंने किसी तरह से कर्ज़ा लेकर करवा दिया। अब बुवाई के बाद जब दोबारा पानी का समय आएगा तो वह क्या करेंगे। अगर ट्यूबवेल बन जाता तो सैंकड़ों किसान खुश हो जाते हैं।
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तालाब बन जाते हैं खेत
नरैनी ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले गुढ़ा कला गांव के सुखरानी और विजेंद्र कुमार सिंह बताते हैं, किसान कई सालों से पंप कैनाल लीकेज होने से परेशान हैं। उनके खेत तालाब बन जाते हैं जिससे धान की फसल तो तैयार हो जाती है लेकिन गेहूं की दूसरी फसल नहीं लगा पातें। यह हाल सिर्फ उनके खेतों का नहीं बल्कि कई किसानों के खेतों का है।
उन्होंने विभाग को भी इस बारे में सूचना दी थी परन्तु कोई समाधान नहीं किया गया।
नलकूप करवाए जाएंगे ठीक
नलकूप विभाग बांदा के एक्शियन सुनील कुमार शुक्ला के अनुसार,बांदा जनपद में 656 सरकारी नलकूप हैं जिससे लगभग 65 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होती थी। भू-जल में कमी होने के कारण मोटर पर ज़्यादा लोड हो जाता है और मोटर जल्दी फुंक जाते हैं। नलकूप की मरम्मत के लिए 38 हज़ार रूपये दिए जाते हैं। वर्तमान में सिर्फ दो ही मिस्त्री हैं जो उनके अनुसार ज़्यादा होने चाहिए। कहते हैं, जल्द ही इसे ठीक करवाया जाएगा।
पलेवा की समयसा से किसान हर साल गुज़रता है और हर साल उसे इसकी चिंता सताती है कि अगर यह नहीं हुआ तो उनके परिवार का क्या होगा। इसके बाद भी पानी की कमी की समस्या, सरकारी नलकूपों का खराब होना इत्यादि चीज़ों पर ध्यान नहीं दिया जाता, उन पर काम नहीं किया जाता।
इस खबर की रिपोर्टिंग गीता देवी द्वारा की गई है।
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