खबर लहरिया Blog कभी महोबा में भी बड़े पैमाने पर होती थी पान की खेती

कभी महोबा में भी बड़े पैमाने पर होती थी पान की खेती

पान जिसकी दुनिया दीवानी है जिसपर गीत भी बने। उस पान की खेती करना अब बड़ी बात नहीं रह गई है। पान उगाने के मामले में अब कई शहरों ने अपना नाम दर्ज करा लिया है।

बनारस, महोबा, छतरपुर, ललितपुर और टीकमगढ़ जैसे शहरों से खबर लहरिया ने भी रिपोर्टिंग की है जहाँ लोग बड़े पैमाने पर पान की खेती करना शुरू किये हैं। उनकी खेती भी अच्छी चल रही है। लोग नई-नई तकनीकी से नमुमकिन को मुमकिन बना रहे हैं। असंभव खेती को संभव कर कई किसानों ने इसकी मिसाल दी है। महोबा जिले के कई किसान जो पान की खेती कर रहे हैं उनसे जानते हैं पान की खेती करने के तरीके और सावधानियों के बारे में।

पान की खेती

                                                                                                                            पान की खेती

महोबा जिला में पान की खेती करने वाले परसुराम चौरसिया कहते हैं की फरवरी के महीना में पान की बेल लगाई जाती है। 1 साल तक पान की सेवा करनी पड़ती है तब कहीं जाकर पान निकलता है। 1 साल पान लगाते हैं तो 3 साल तक बना रहता है। पान की खेती करने में लगभग 1 लाख की लागत लगती है और अगर खेती अच्छी हुई तो लगभग 10 लाख का मुनाफा भी होता है।

परसुराम चौरसिया बताते हैं की वह लगभग 40 वर्षों से पान की खेती कर रहे हैं। 15 साल पहले महोबा में लगभग 90 प्रतिशत किसान पान की खेती करते थे लेकिन अब पान की खेती करने वालों की संख्या लगभग 20 प्रतिशत ही रह गई है। पान की खेती में मेहनत बहुत है जो लोग करना नहीं चाहते हैं।

ऐसे करें पान की खेती

सबसे पहले खेती की अच्छी तरह जुताई करें। इसके बाद गोबर की खाद मिलाकर खेत को समतल कर लें। पान की खेती के लिए ठंडी और छायादार जगह की जरूरत होती है। यह बेलनुमा पौधा होता है, इसकि इसके लिए बांस की कैनेपी बनाई जाती है। पान की खेती के लिए 2 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाई जाती है। दो क्यारियों के बीज 0.5 मीटर चौड़ी और 0.5 मीटर गहराई वाली नाली जल निकाली से लिए बनाई जाती है। क्यारियों में बांस की पिंचियां लगाई जाती है या फिर बड़े झाड़ वाले पौधे लगाए जाते हैं, जिससे पान की बेल का सहारा मिल सके। इस तरह पान की खेती करके किसान सालों तक उत्पादन लेते हैं।

चौरसिया बताते हैं की जब पान की खेती की बेल लगाई जाती है तो पूरे परिवार को खाना भी खिलाया जाता है यह प्रथा पूर्वजों से चली आ रही है। पान की खेती अब तो देश-विदेश तक फेमस है। और यही प्रयास है की वह अपने बच्चों को भी सिखाएं ताकि महोबा से पान विलुप्त न हो।

भारत देश में पान की खेती लंबे समय से होती आ रही है। पान को खाने के साथ-साथ पान का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है। पान में कई औषधीय गुण भी मौजूद होते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो भारत में पान की 100 से ज्यादा किस्में पाई जाती हैं।

किन इलाकों में अच्छी होती है पान की खेती?

पान की खेती उन इलाकों में अच्छी होती है जिन इलाकों में बारिश की वजह से नमी ज्यादा रहती है। पान के पौधों को न्यूनतम 10 डिग्री तथा अधिकतम 30 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। अधिक ठंड या गर्मी में पान की खेती को नुकसान पहुंच सकता है।

पान के पतों को अत्याधिक ठंड से कैसे बचाएं?

पान के पत्तों को अत्याधिक ठंड से बचाने के लिए नवंबर महीने के आखिरी सप्ताह या दिसंबर के पहले हफ्ते से छावनी करना शुरू कर देना चाहिए। छावनी से तापमान में गर्माहट पैदा होती है। वहीं, ठंड के दिनों में हल्की-हल्की सिंचाई जरूर करनी चाहिए, इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है और पान के पत्तों को खराब होने से बचाया जा सकता है।

पान खाने के कई फायदे भी हैं..

सूरज और मोहित बताते हैं जो लोग दांत की समस्या से परेशान रहते हैं वह पान बहुत खाते हैं इससे दांत की तकलीफ से राहत मिलती है। पान की खुशबू से मुंह का स्वाद बदल जाता है। मुंह से बदबू नहीं आती। बहुत सारे लोग होठों को लाल करने के लिए भी पान खाते हैं जो गांव स्तर पर ज्यादा होता है। इतना ही नहीं बच्चों के लिए पान बहुत फायदेमंद होता है। छोटे बच्चों को खांसी जुकाम की शिकायत है तो देसी पान खिलाया जाता है, पान की गर्मी से राहत मिलती है।

पान के फायदे तो बहुत हैं लेकिन पान उगाने वाले किसान परेशान हैं। वह कहते हैं दुनिया बदल गई, मंहगाई बढ़ गई, लेकिन हमारी स्थिति नहीं सुधर रही है। वो कहते हैं कि पहले पान की खेती में मुनाफा था, लेकिन अब सरकारी उदासीनता और बढ़ती मंहगाई की वजह से हर साल किसान इसकी खेती से किनारा कर रहे हैं। पहले उनके गांव में जहां पान की खेती बड़ी संख्या में करते थे, अब वह संख्या घटती जा रही है।

इस खबर की रिपोर्टिंग श्यामकली द्वारा की गई है।