इस मौसम को अच्छे से इंजॉय करने के लिए बहुत ही जरूरी होती है अपनी तैयारीयां पहले से करके रखना वरना नुकसान भी बहुत होता है।
रिपोर्ट-सुशीला, लेखन-गीता
बारिश का मौसम जितना राहत देने वाला होता है उतना ही परेशान करने वाला भी। इस मौसम को अच्छे से इंजॉय करने के लिए बहुत ही जरूरी होती है अपनी तैयारीयां पहले से करके रखना वरना नुकसान भी बहुत होता है। इसलिए बारिश के चार महीनों के लिए महिलाएं घर गृहस्थी में इस्तेमाल होने वाली रोजमर्रा के चीजों की तैयारी कर लेती है और किसान फसल की बोवाई के लिए खेत तैयार करते हैं। तो चलिए आज हम उन तैयारियों को तस्वीरों के जरिए समझते हैं…
वाराणसी जिले के चिरईगांव ब्लॉक के मुस्तफाबाद गांव में बारिश आने से पहले गांव के लोग अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हैं। कोई अनाज और घरेलू सामान को सुरक्षित कर रहा है, तो कोई खेतों से सब्ज़ियां और मसाले सुखा रहा है। कुछ लोग झोपड़ी की मरम्मत कर रहे हैं, तो कुछ छांव की व्यवस्था में लगे हैं। गांव के कोने-कोने में हलचल है और हर कोई अपने हिसाब से बारिश से पहले की ज़रूरी तैयारी में जुटा है। हमने गांव के अलग-अलग हिस्सों में जाकर जाना कि लोग कैसे बारिश का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।
स्टोर करके रखने के लिए सुखाए जा रहे मसाले
गांव की महिला चमेली देवी बताती हैं कि खेती-बाड़ी के कामों में इस समय बहुत कुछ करना होता है। खेतों से निकले धनिया, प्याज़, हल्दी और मिर्ची को सुखाने का काम जोरों पर है। ये सब चीजें अगर ठीक से सुखा ली जाएं, तो बारिश में सड़ती नहीं हैं और लंबे समय तक चलती हैं। मिर्च को सुखाकर महीनों तक रखा जा सकता है। चाहे पीसकर डिब्बे में भरें या साबुत रखें। हल्दी भी इसी तरह सुखाकर सुरक्षित रखी जाती है। अभी धूप है, इसलिए इसे अच्छे से सुखाकर बारिश से पहले स्टोर किया जा रहा है।
ऐसे बनाते हैं झोपड़ी के लिए लकड़ी का छप्पर
चंद्रा देवी बताती हैं कि हर साल बारिश आने से पहले झोपड़ी बनाना पड़ता है। अभी तक वह तीन झोपड़ियां बना चुकी हैं। उनके जैसे कई गरीब परिवार हैं जो झोपड़ी पट्टी में रहते हैं, क्योंकि उनके पास पक्के मकान की सुविधा नहीं है। वह बताती हैं कि एक झोपड़ी बनाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं। सुबह और शाम के समय काम होता है क्योंकि दोपहर में तेज धूप होती है। झोपड़ी बनाने में पतलू मतलब (सराई) और डोरी का इस्तेमाल किया जाता है। यह तैयारी हर साल करनी पड़ती है ताकि बारिश के मौसम में वह लोग परिवार सहित सुरक्षित रहे सकें।
घर के इस्तेमाल के लिए झाड़ू खुद बना लेती हैं ये महिलाएं
निर्मला देवी बताती हैं कि इस मौसम में खजूर कि पत्तियां सूखी मिलती हैं जिससे वह खुद ही झाड़ू बनाती हैं। बाजार से झाड़ू खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ती। वह एक साथ चार-पांच झाड़ू बनाकर रख लेती हैं, जिससे बारिश के चार महीने आराम से निकल जाते हैं। कभी-कभी ये झाड़ू पूरे साल तक भी चल जाते हैं। बारिश में अगर झाड़ू भीग जाएं तो टूटने का भी डर रहता है इसलिए वह इन्हें टांग कर रखती हैं ताकि सुरक्षित रहें।
खेतों में गोबर की खाद डालते किसान
किसान लालबहादुर बताते हैं कि इस समय मौसम का मिज़ाज बदल रहा है और धान की बोवाई का समय आ गया है। इसी के चलते खेतों में गोबर का छिड़काव जोरों पर चल है। गाय के गोबर से खेत की उर्वरक क्षमता बढ़ती है और फसल अच्छी होती है। लगभग हर किसान अपने खेतों में यह तैयारी कर रहा है ताकि धान की पैदावार अच्छी हो सके।
तैयारियां जो हर घर में पहले से की जाती है
बारिश से पहले लोग अपने घरों की छतों और दीवारों की मरम्मत करवाते हैं या खुद कर लेते है जिससे उनके घरों में बारिश का पानी ना आ सके। ऐसे मौसम में बारिश होने पर घरों की छतों से पानी टपकने लगता है और दीवारों में भी सीलन आने लगती हैं,तो अगर उन्हें पहले से ठीक करते है ,तै दिक्कत नहीं होती।
इसके अलावा लोग बाहर निकलने के लिए छाते की व्यवस्था भी कर लेते हैं और चार महीने के लिए हर रोज रोजमर्रा में खर्च होने वाला सामान भी सुखकर अच्छे से पैक कर के रख लेते हैं चाहे मसाला हो या गेंहू, चावल और दाल बरी,ताकि चार महीने के लिए पूरी व्यवस्था घर में बनी रहे और किसी चीज को भटकना न पड़े ना यह सोचना पड़े की बिना धूप दिखाएं इस चीज से कुछ बन नहीं सकता।
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