एक ओर जहां उत्तर भारत झुलसा देने वाली गर्मी से बेहाल है, वहीं प्रयागराज के शंकरगढ़ नगर पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर-1 के निवासी पानी की भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट – सुनीता, लेखन – सुचित्रा
पहले के मुकाबले हर साल गर्मी बढ़ती जा रही है। एक ओर जहां उत्तर भारत झुलसा देने वाली गर्मी से बेहाल है, वहीं प्रयागराज के शंकरगढ़ नगर पंचायत अंतर्गत वार्ड नंबर-1 के निवासी पानी की भीषण गर्मी से से जूझ रहे हैं। यहां का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है, लेकिन एक साल से इस मोहल्ले की एकमात्र बोरिंग खराब है और पानी की टंकी भी इस्तेमाल करने लायक नहीं है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, नगर पंचायत द्वारा इस क्षेत्र में दो पानी की टंकियां रखी गई थीं और एक बोरिंग करवाई गई थी। उसी बोरिंग से पूरे मोहल्ले को पानी मिलता था लेकिन एक साल से बोरिंग खराब पड़ी है। लगभग 1000 की आबादी वाला यह गांव भीषण जल संकट से जूझ रहा है।
महिलाओं को हो रही मुश्किल
गांव की महिला गुलाबी ने बताया, “पानी के बिना हम खाना नहीं बना सकते। मजदूरी करके जो भी कमाते हैं, उससे तो मुश्किल से गुजारा होता है। अब पानी भरने के लिए रोज 2 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। घर में छोटे छोटे बच्चे हैं। बच्चों को प्यासा छोड़कर काम पर जाना पड़ता है। नगर निगम का पानी का टैंकर भी ऐस समय में आता है कि हम पानी नहीं भर पाते हैं। उस समय हम घर पर ही नहीं होते। हम कभी बाजार की तरफ से पानी लाते हैं तो कभी दूसरे वार्ड से पानी भर लाते हैं।”
नगीना कहती हैं “दूसरे मोहल्लों में डिब्बा लेकर जाते हैं तो वहां लंबी लाइन लग जाती है। पानी भरने में सुबह के दो घंटे चले जाते हैं। अगर पानी के पीछे समय खराब करेंगे तो काम पर देर से पहुंचेंगे जिससे आमदनी पर असर पड़ता है। यहां कोई देखने वाला नहीं है बस हम चाहते हैं कि यहां की स्थिति को भी दिखाया जाया और समस्या का समाधान जल्द किया जाए।”
कई बार दिया आवेदन
लोगों ने बताया कि उन्होंने मार्च के महीने में नगर पंचायत को कई बार आवेदन दिए हैं लेकिन आज तक न तो बोरिंग की मरम्मत की गई और न ही कोई और व्यवस्था की गई है।
स्थानीय निवासी बालापन ने कहा, “हमने तीन बार नगर पंचायत में आवेदन दिया है, अब जिले में जाकर आवाज़ उठाएंगे। अगर बोरिंग नहीं बन पा रही है तो दूसरी बोरिंग करवाएं। चार दिन में स्कूल खुलने वाले हैं, बच्चों को भी पानी की ज़रूरत होगी। सुबह-सुबह खाना, नहलाना और स्कूल भेजना सबकुछ बिना पानी के कैसे होगा?”
प्रशासन पर सवाल
यहां के लोगों का कहना है कि सिर्फ बजट खर्चा किया जाता है और दिखावे के लिए बस टंकी लगा दी है। नगर पंचायत चुनावों में बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई नेता झांकने तक नहीं आता। उनका कहना है कि सारे लोग यहां के गरीब हैं। दलित समुदाय के बसोर जाति के ज्यादातर लोग रहते हैं, शायद इसलिए इस गांव पर ज्यादा ध्यान नई देती सरकार।
नगर पंचायत की प्रतिक्रिया
शंकरगढ़ नगर पंचायत की चेयरमैन पार्वती कोटार्य ने कहा, “हमारे नगर पंचायत में 12 वार्ड हैं और सभी वार्डों में पानी की व्यवस्था की गई है। इस मोहल्ले की समस्या हमारे संज्ञान में है। वहां का बोरिंग खराब है, इसलिए हमने टैंकर भेजवाने की व्यवस्था की है। जल्दी ही बोरिंग का सर्वे करवाया जाएगा और फिर से पानी की व्यवस्था बहाल की जाएगी।”
गर्मी से परेशान लोगों की ओर कोई ध्यान नहीं देता। एक बार विकास के नाम पर शुरुआत करने से फिर वहां की देखने नहीं जाता कि असल में लोगों को लाभ मिल रहा है कि नहीं। इन लोगों की इतनी पहुँच भी नहीं है और न ही इतना पैसा है कि अपनी समस्या का समाधान खुद कर सके।
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