एमएलसी चुनाव को लेकर बांदा कलेक्ट्रेट कार्यालय में कुल आठ प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भरा।
बांदा: विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) चुनाव को लेकर बांदा कलेक्ट्रेट कार्यालय में कुल आठ प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र भर दिया है। 24 मार्च को नाम वापसी और 9 अप्रैल को मतदान और 12 अप्रैल को नतीजे घोषित होंगे।
नामांकन करने वाले प्रत्याशियों में से बीजेपी प्रत्याशी जितेंद्र सिंह सेंगर और समाजवादी पार्टी से आनंद त्रिपाठी उर्फ बब्बू का नाम बहुत जोरों पर है। एक और नाम जिसकी खास चर्चा है वह है लवलेश सिंह क्यूंकि उन्होंने अपनी ही पार्टी के खिलाफ बगावत करते हुए पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ नामांकन पत्र दाखिल किया है। इस दौरान उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। जीतेगा कौन? इसके लिए चुनाव परिणाम का इंतजार करना होगा।
क्या बोले जिलाधिकारी?
जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेक्ट्रेट कार्यालय स्थित नामांकन स्थल पर अंतिम दिन तक कुल आठ प्रत्याशियों ने बांदा-हमीरपुर क्षेत्र के विधान परिषद सदस्य के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। जिसमें सपा पार्टी के आनन्द त्रिपाठी उर्फ बब्बू और बीजेपी से जितेंद्र सिंह सेंगर के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी लवलेश कुमार, अतुल कुमार, जगतपाल, दिनेश सिंह, मनोज कुमार और राधिका देवी ने विधान परिषद सदस्य के लिए नामांकन कराया। बांदा हमीरपुर क्षेत्र में चित्रकूट धाम मण्डल के चारों जनपद बांदा, महोबा, हमीरपुर और चित्रकूट के मतदाता मतदान करेंगे।
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क्या बोले बीजेपी प्रत्याशी?
बीजेपी प्रत्याशी जितेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा कि विधानसभा चुनाव की तरह विधान परिषद चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिलेगी। उन्होंने कहा कि पंचानवे प्रतिशत वोट बीजेपी को मिलेंगे क्योंकि बीजेपी के मुख्य चेहरे नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में चौमुखी विकास हुआ है जिसको लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
क्या बोले सपा प्रत्याशी?
वहीं सपा प्रत्याशी आनंद त्रिपाठी ने आरोप लगाया कि विधानसभा में ईवीएम से हुए चुनाव में कई जगह सपा प्रत्याशियों को बहुत ही कम वोटों से हरा दिया गया है। इस बार विधान परिषद चुनाव में बैलेट पेपर से चुनाव होंगे और समाजवादी पार्टी सभी जगह से चुनाव जीतकर आएगी। उनके नामांकन के दौरान पार्टी के जिला अध्यक्ष विजय करण यादव और विशम्भर सिंह यादव समेत पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद रहे।
निर्दलीय प्रत्याशी लवलेश सिंह यादव ने कहा कि वह पिछले 6 माह से चुनाव की तैयारी कर रहे थे। उन्हें चारों जिलों के क्षेत्र पंचायत जिला पंचायत और ग्राम प्रधानों का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा कि “मैं गरीब का बेटा हूं, ईमान नहीं बेचूंगा और अपने समर्थकों की भावनाओं का ध्यान रखूंगा।” सपा पार्टी से बगावत करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह तो चुनाव की तैयारी पहले से कर रहे थे इसीलिए नामांकन भी किया है। अब यह पार्टी नेतृत्व को सोचना है कि उन्होंने बगावत सही किया है या नहीं।
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कैसे होता है एमएलसी चुनाव?
विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज़्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। मान लीजिए उत्तर प्रदेश में 403 विधानसभा सदस्य हैं यानी उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 134 से ज़्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना ज़रूरी है। एमएलसी का दर्जा विधायक के ही समकक्ष होता है।
कैसे चुने जाते हैं एमएलसी के सदस्य?
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं।
वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य (बीडीसी) और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं। स्थानीय निकाय की सीटों पर सांसद, विधायक, नगरीय निकायों, कैंट बोर्ड के निर्वाचित सदस्य, जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायतों के सदस्य, ग्राम प्रधान वोटर होते हैं।
एमएलए (विधायक) किसी राज्य की विधान सभा का सदस्य होता है। वहीं एमएलसी किसी राज्य के विधान परिषद का सदस्य होता है। एमएलए चुने जाने के लिए न्यूनत्तम उम्र 25 वर्ष होती है जबकि एमएलसी चुने जाने की न्यूनत्तम उम्र 30 साल होती है। एमएलए को जनता चुनती है, जबकि एमएलसी का चुनाव अप्रत्यक्ष होता है। एमएलए का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है जबकि एमएलसी की कार्यावधि 6 साल की होती है।