बांदा: उत्तर प्रदेश में साल 2017 में जब योगी आदित्यनाथ की सरकार आई तो उनकी प्राथमिकता की लिस्ट में जो काम थे, उनमें से सबसे अहम मुद्दा था प्रदेश में गायों की रक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करना। जिससे जानवर सड़को पर न रहे, किसान अपनी फ़सल जानवरो से बचा सके। योगी आदित्यनाथ ने अपनी इस प्रथमिकता को ध्यान में रखते हुए ना सिर्फ गायों और गोवंशो की सुरक्षा के लिए तमाम नियम कानून बनाये, बल्कि उसके लिए भारी भरकम बजट भी दिया। जिससें गोवंश की सुविधा में किसी तरह की कोई कमी ना रहे। लेकिन जिस तरह से सरकार की सुविधा की धज्जियां उड़ी है, उससे न तो गौशाला का अता पता है और न जानवर सुरक्षित हैं, हर गौशाला में जानवर कम उसकी असुविधा ज्यादा है। जिसकी वहज से जानवर मर रहे हैं, और गौशाला मुर्दाघर बनती जा रही है।
बांदा जिले में लगभग 300 स्थाई और अस्थाई गौशाला हैं लेकिन गौशालाओं की स्थिति बेहद खराब है। ताज़ा उदाहरण महुटा गांव में बानी गौशाला है जहाँ आये दिन गायें मरती हैं। 7 अप्रैल को हमारी रिपोर्टर गीता जब वहां कवरेज के लिए पहुंची तो उन्होंने देखा कि वहां तो गोवंश के खाने के पीने की कोई खास व्यवस्था नहीं थी। जानवर बिल्कुल कमजोर इधर-उधर टहल रहे थे। कुछ जानवर सूखी घास (धान का पैरा) खा रहे थे।
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2016-17 में बने महुटा गांव के गौशाला का डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने उद्घाटन किया था। कुछ दिन तो व्यस्था सही थी या यह कह सकते हैं जब तक अधिकारियों का आना-जाना था वहां की व्यस्था दुरुस्त थी लेकिन अब वहां की स्थिति रोंगटे खड़े करने वाली है। यहाँ के निवासी छोटू सिंह और बुध्दविलाश ने बताया कि ठण्ड में तो हर रोज जानवर मरते थे, अभी भी मर रहे हैं लेकिन यहां पर कोई देखने वाला नहीं है। गौशाला में जानवरों की रखवाली के लिए चार लोग हैं लेकिन रखवाली भर से कुछ नहीं होता, जब उनको खाने पीने की व्यवस्था नहीं की जाएगी।
इस मामले को लेकर जब महूटा प्रधान संध्या गौतम ने बताया कि जो लोग यह कह रहे हैं कि भूख और प्यास से जानवर मर रहे हैं वह गलत है। क्योंकि जिस दिन से वह प्रधान हुए बराबर जानवरों के चारे भूसे और पानी की व्यवस्था करते हैं। हां अव्यवस्थाएं हैं क्योंकि जहां पर 200 गौवंश की जगह है पर उससे ज़्यादा हो गए हैं। जानवरों की देखरेख के लिए 4 कर्मचारी रखे गए हैं। डॉक्टर भी बराबर जानवरों के चेकअप के लिए आते हैं।
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देख-रेख ना होने से गौशाला में गायों की मौत, विभाग मौन
ऐसा ही हाल गांव तेरा बा के गौशाला का है वहां के लोगों ने बताया कि गौशाला में भूख प्यास से गोवंश तड़प कर मर रहे है। कभी पानी की कमी होती है तो कभी भूसा चारा की। तो ऐसी स्थिति में क्या होगा। सरकार कितना भी बजट क्यों ना खर्चा करती हो और गोवंश के नाम पर वाहवाही लूटती हो, लेकिन जमीनी स्तर पर उसकी सच्चाई खुद में बयां करती है। हां यह जरूर है कि कहीं कम है तो कहीं ज्यादा है। एक गाय के लिए तीस रुपये आता है, लेकिन यहां दस रुपये भी एक गाय पर नहीं खर्चा होता होगा।
खुद के खर्च से गौशाला में लगाया तार बाड़ी
इस मामले में तेरा बा प्रधान सुधा ने बताया कि यह अस्थाई गौशाला है, जितनी सुविधा हो सकती है वह करती हैं। जबसे प्रधानी उनके नाम हुई है तब से लगभग पांच लाख रुपये से ऊपर का बजट अपनी तरफ से खर्च कर चुकी हैं। पूरे गौशाला में तार बाड़ी लगवाया है ताकि किसानों की फसल बच सके। पैसे के लिए उन्होंने डिमांड भी लगाई है पर अभी तक विभाग से कोई जवाब नहीं आया है। अब उनके पास पैसे नहीं हैं कि वह जानवरों के लिए उचित व्यवस्था कर सकें।
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जाँच के बाद होगी कार्यवाई- एबीसी योगेंद्र सिंह
नरैनी ब्लॉक के एडीओ एबीसी योगेंद्र सिंह जो आजकल वीडियो का चार्ज भी संभाल रहे हैं उन्होंने बताया कि गौशाला में ऐसी स्थिति की जानकारी उनको नहीं है। जहां पर ऐसी स्थितियां होती हैं उसकी जांच की जाती है। बिसंडा ब्लाक के सिंहपुर में ऐसी स्थिति पाई गई थी और वहां पर तुरंत कार्यवाही की गई है। जब महुटा की गौशाला के बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा की खंड विकास अधिकारी के चार्ज सँभालते ही वहां जाँच कराई जाएगी।
अगर बात की जाये पशुपालन विभाग की तो उनके अनुसार बांदा जिले में अस्थाई और स्थाई लगभग 300 गौशाला है और उनके मुताबिक संरक्षण गोवंश के भरण-पोषण में हर महीने लगभग ₹5 करोड़ का खर्च आता है। ऐसे में जानवर ऐसे हालत में क्यों हैं? क्यों नहीं जानवरों के लिए चारा भूषा की व्यवस्था की जाती? या बड़े-बड़े दावे सिर्फ किताबी बातों के लिए ही किये जाते हैं?
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