राजस्थान-क्वारंटाइन सेंटर में फंसे मजदूरों की अनूठी पहल, बदल डाली सरकारी स्कूल की सूरत :हम लोगों ने हमेशा मेहनत करके ही खाया है, हम लोग ऐसे बैठकर नहीं खा सकते हैं। जब गांव वाले हमारे लिए इतना कुछ करने को तैयार है, तो हम गांववालों के लिए क्यों न कुछ करें। यह शब्द हैं राजस्थान में क्वारंटीन में बंद मजदूरों के। और इसी उद्देश्य और सोच के साथ हम लोगों ने क्वांइटाइन वाले विद्यालय की काया बदलने का निर्णय लिया। कोरोना लॉकडाउन के दौरान क्वारंटाइन में समय बिताना अधिकतर लोगों के लिए आसान नहीं होता और कुछ के लिए यह मुसीबत की तरह है।
क्वारंटाइन के दौरान देश के कई हिस्सों से अलग-अलग ख़बरें सामने आ रही थी कहीं लोगों के क्वारंटाइन सेंटर से भागने की खबर आई तो किसी ने अस्पताल से ही छलांग लगा दी। लेकिन, राजस्थान के सीकर में प्रवासी मजदूरों ने क्वारंटाइन के दौरान जो मिसाल पेश की वह तारीफ के योग्य है। इन लोगों ने बिना किसी चार्ज के क्वारंटाइन के दौरान स्कूल को पेंट कर दिया। जिसकी सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है।
ऐसा बताया जा रहा है कि राजस्थान के सीकर जिले में पलसाना कस्बे के शहीद सीताराम कुमावत और सेठ केएल ताम्बी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के 54 मजदूर ठहरे हुए हैं। ये सभी लोग पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं इस सेंटर के मजदूरों ने खाली बैठने की बजाय काम करने की इच्छा की। मजूदरों ने गांववालों से कहा कि अगर हम लोग बैठकर खाएंगे, तो बीमार हो जाएंगे। ऐसे में मजदूरों ने खाली बैठने की बजाय स्कूल को रंग कर उसकी तस्वीर ही बदल दी।
समाचार पत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार मजदूरों ने बीते शुक्रवार यानी 17 अप्रैल को सरपंच से रंग-रोगन का सामान लाकर देने की मांग की।फिर सरपंच और विद्यालय कर्मियों की ओर से सामग्री उपलब्ध कराने के बाद मजूदरों ने विद्यालय में रंगाई-पुताई कर स्कूल को ऐसा चमका दिया कि प्रशासन भी तारीफ किए बिना नहीं रह सका।
मजदूरों ने बताया कि सरपंच और गांव के लोगों ने उनके रहने के लिए बहुत ही बढ़िया व्यवस्था की थी। मजदूर इस व्यवस्था से इतना खुश थे कि बदले में गांव के लिए कुछ करना चाहते थे और इसी सोच में उन्होंने स्कूल के रंग-रोगन का काम शुरू कर दिया। शिविर का निरीक्षण करने के लिए आए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव जगत सिंह पंवार ने भी पृथक केन्द्र यानि स्कूल को देखा तो प्रभावित हुए। और मजदूरों की काफी प्रसंशा की।