उत्तर प्रदेश के बांदा जिले अंतर्गत आने वाले कालिंजर का नाम तो पूरी दुनिया में मशहूर है। कालिंजर में एक बहुत ही पौराणिक और ऐतिहासिक किला भी है जिसको अजय दुर्ग के नाम से जाना जाता है और उसी के नीचे बसा है कटरा कालिंजर गाँव। लेकिन इस गांव में और किले में पानी की भीषण समस्या सालों से बराबर चली आ रही है। जिसके चलते ग्रामीणों को तो बूंद बूंद पानी के लिए तरसना ही पड़ता है लेकिन किला घूमने आए पर्यटकों को भी पानी की परेशानी झेलनी पड़ती है।
लोग जब भी घूमने जाते हैं तो नीचे से एक बोतल पानी लेकर जाते हैं वह भी कई बार तो रास्ते में ही खत्म हो जाता है और फिर पर्यटक वहां प्यास के मारे जूझते रहते हैं। इतना ही नहीं पानी की कमी के कारण हर साल वहां के जंगल का भी भारी नुकसान होता है इस समस्या को दूर करने के लिए वहां के ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों से और सांसद से मांग की है कि रामनगर नदी से किले तक पंप कैनाल की व्यवस्था कर दी जाए ताकि गाँव को और किले को भरपूर पानी मिल सके लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। गाँव के लोगों का कहना है कि किले में हर साल आग लग जाती है और आग लगने के कारण पेड़ पौधों, जड़ी-बूटियों और पशु पक्षियों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है।
उनका कहना है कि अभी इसी साल मार्च और अप्रैल के महीने में इतनी भीषण आग लगी थी कि काबू पाना मुश्किल हो गया था और हजारों की संख्या में छोटे-छोटे पशु पक्षी जलकर भस्म हो गए और लाखों की तादाद में लकड़ियां जड़ी बूटियां जल गई लेकिन अगर यहाँ पर पानी की कोई व्यवस्था होती तो शायद इतना नुकसान नहीं होता। कई नेता, और अधिकारी इस गाँव में आते हैं और बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन होता कुछ भी नहीं है। जब हमने इस मामले पर बांदा के लघु सिचाई विभाग में सहायक अभियंता राजेश कुमार इस मामले पर जानकारी लेनी चाही, तो उनका कहना है कि उनके संज्ञान में ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है। अगर ऐसी कोई भी सूचना मिलती है तो वो ज़रूर समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।
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