ज़्यादा तेज़ बारिश होने पर कई बार यह पन्नियां फट जाती हैं और घर के सदस्यों के साथ- साथ सारा सामान भी भीग जाता है। तेज़ बारिश होने के कारण कई परिवारों के मिट्टी के बने घर भी पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं।
टीकमगढ़ ज़िले की तहसील मोहनगढ़ के ग्राम पंचायत गोर की टपरन खिरक में एक आदिवासी बस्ती है जहाँ में आज भी लोग पन्नी डालकर या फिर झोपड़ी और कच्चे घरों में रहने को मजबूर हैं। यह लोग बरसात के मौसम में पन्नी डालकर रह रहे हैं। ज़्यादा तेज़ बारिश होने पर कई बार यह पन्नियां फट जाती हैं और घर के सदस्यों के साथ-साथ सारा सामान भी भीग जाता है। तेज़ बारिश होने के कारण कई परिवारों के मिट्टी के बने घर भी पूरी तरह से नष्ट हो चुके हैं।
गाँव में बने सिर्फ 4-5 आवास-
गोर टपरन खिरक गाँव के रहने वाले हरि का कहना है कि उनके गाँव की आबादी लगभग 2500 के करीब है, जिसमें से तकरीबन 100 परिवार आदिवासी समुदाय के हैं। हरि ने हमें बताया कि गाँव में ज़्यादातर लोगों को आवास नहीं मिला है जिसके कारण उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ मौजूद लोगों का कहना है कि इन्हें सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। गाँव में सिर्फ 4-5 लोगों को ही अबतक प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास मिले हैं। और उसके अलावा ज़्यादातर ग्रामीण पन्नियों की नीचे या मिट्टी के घरों में अपना जीवन-व्यापन कर रहे हैं।
बरसात में होती है बहुत परेशानी-
टपरन खिरक की रहने वाली रामा आदिवासी ने हमें बताया कि जब वो शादी करके इस गाँव में आई हैं तबसे वो झोपड़ी में ही रह रही हैं। सबसे ज़्यादा दिक्कत इन लोगों को बरसात के मौसम में होती है जब कई बार तेज़ बारिश के कारण झोपड़ी के अंदर भी पानी भर जाता है और सारा सामान भीग जाता है। ये लोग अपनी झोपड़ियों में भी ज़मीन में सोते हैं और ऐसे में कीड़े-मकौड़ों का डर भी बना रहता है। रामा ने हमें बताया कि उनके पास 2 बकरियां भी हैं और बारिश होते ही उन्हें भी संभालना बहुत मुश्किल होता है। जब रात में बारिश होती है, तो पालतू जानवरों को देखने और टपकती हुई झोपड़ी के नीचे बैठने में अब इन्हें काफी दिक्कत हो रही है।
रामा ने हमें यह भी बताया कि कई बार ग्रामीणों ने सचिव और प्रधान से आवास को लेकर मांगें भी करी हैं लेकिन अबतक इनकी सुनवाई नहीं हुई है। जब-जब ये लोग अपनी परेशानियां लेकर प्रधान के पास जाते हैं तो इन्हें बस यह दिलासा दिलाई जाती है कि जल्द ही इन्हें आवास मिल जाएगा लेकिन अबतक ऐसा नहीं हुआ है।
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“कब तक लगाएं योजनाओं के लाभ मिलने की आस?”
इसी गाँव की रहने वाली रामवती अहिरवार का कहना है कि उनके गाँव में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है। न ही कभी कोई अधिकारी यहाँ इन लोगों की शिकायतें सुनने आता है और न ही प्रधान इनकी मांगों की कोई सुनवाई करते हैं। रामवती का कहना है कि जब-जब वोट मांगने का समय आता है तब तो विधायक और नेता हर दिन यहाँ आते हैं लेकिन चुनाव ख़तम होते ही सारे वादों पर पानी फिर जाता है। इन ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को इन गरीबों के बारे में सोचना चाहिए और योजनाओं का लाभ दिलवाने में मदद करनी चाहिए।
ग्राम पंचायत गोर के सचिव लोकपाल सिंह बुंदेला ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि उनके गाँव में डेढ़ सौ परिवारों को आवास मिल चुका है, जिसमें सभी समुदाय के लोग शामिल हैं। उन्होंने बताया की टपरन खिरक गाँव में भी आठ नौ आवास बने हैं जिसमें से दो आवास अधूरे पड़े हैं क्यूंकि पात्र व्यक्तियों ने बीच में ही आवास का काम रुकवा दिया। लोकपाल सिंह ने बताया कि 2018 में आवास देने के लिए सर्वे भी किया गया था जिसमें 197 नए लोगों के नाम जोड़े गए थे। इन सभी परिवारों को जैसे ही आवास का नया बजट आएगा, वैसे ही आवास बनवाने के लिए पैसा दे दिया जाएगा।
इस खबर को खबर लहरिया के लिए रीना द्वारा रिपोर्ट किया गया है।
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