टीकमगढ़ जिले की तहसील लिधौरा के अंतर्गत आने वाले गाँव दल्लूपुरा के किसान चीमरी की खेती करते हैं। ये किसान पिछले 10 वर्षों से ख़रबूज़े की खेती करते आ रहे हैं। चीमरी की खेती करने के लिए केवल नदी के किनारे या तालाब के पास ही इसके बीज बोए जाते हैं क्योंकि इसको पानी की जरूरत भी होती है, ये खेती जनवरी-फरवरी के महीने में शुरू की जाती है।
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दो-तीन माह में इसमें फल आने लगते हैं और इसकी देख-रेख हर रोज की जाती है। दवाई का भी उपयोग किया जाता है जिससे इसके फल में कीड़े न लगे और फल सुरक्षित रहें। इस बार लगभग हर किसान ने इसमें 25 हज़रा की लागत लगाई है, लेकिन बढ़ती गर्मी के चलते फल तेज़ी से ख़राब हो रहे हैं। अगर फसल अच्छी रहे तो लाखों का मुनाफा हो जाता है लेकिन फिलहाल ये लोग ख़रबूज़े आसपास के गावों में 40 रूपए प्रति किलो के भाव से बेच कर गुज़ारा कर रहे हैं।
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ख़रबूज़े (चीमरी) की खेती करना बुंदेलखंड के किसानों के लिए हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है। मौसम में ज़रा सा बदलाव चीमरी की फसल बर्बाद कर सकता है। लेकिन बुंदेलखंड के किसानों ने बिना हार मानें इन चुनौतियों का सामना किया है और टीकमगढ़ के ये किसान इस बात के बेहतरीन सबूत हैं।
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