संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2023 की शुरुआत में भारत आबादी में पहले नंबर पर पहुंच जाएगा और चीन दूसरे नंबर पर होगा। चीन की आबादी 1.4 अरब है जो 2050 तक कम होकर 1.3 अरब पहुंच जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र (The United Nations) का अनुमान है कि 15 नवंबर तक वैश्विक मानव आबादी 8 अरब ( global human population will reach eight billion) तक पहुंच जायेगी। आने वाले दशकों में धीरे-धीरे इसमें वृद्धि होती रहेगी व क्षेत्रीय असमानताओं के साथ यह बढ़ती रहेगी। यूएन के इस अनुमान के बाद, लोग सोच-विचार में पड़ गए हैं कि विश्व की आबादी की बढ़ोतरी होने से दुनिया भर के लोगों पर इसका क्या असर पड़ेगा?
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जनसंख्या वृद्धि को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा?
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग (The UN Population Division) ने कहा कि आने वाले दशकों में भी जनसंख्या वृद्धि ज़ारी रहेगी। जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) 2050 तक बढ़ कर औसतन 77.2 वर्ष हो जाएगी। 15 नवंबर तक पृथ्वी पर इंसानों की आबादी 8 अरब हो जाएगी, जो 1950 में 2.5 अरब की संख्या का तीन गुना है। 2050 तक जनसंख्या के 9.7 अरब होने और 2080 के दशक में 10.4 अरब होने की संभावना बढ़ेगी।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के रचेल स्नो (Rachel Snow) ने एएफपी न्यूज़ एजेंसी को बताया कि साल 1960 के दशक में आबादी बढ़ने की रफ़्तार अपने चरम पर थी, जिसमें नाटकीय तौर पर गिरावट देखी गयी।
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2030 तक वैश्विक जनसंख्या 8.5 अरब हो जाएगी।
प्रजनन दर में गिरावट का अनुमान
नवभारत टाइम्स की प्रकाशित रिपोर्ट कहती है, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक प्रजनन दर में लगातार गिरावट हो रही है, जिसकी वजह से यह आंकड़ा संभावित रूप से साल 2050 तक लगभग 0.5 फीसदी तक गिर जाएगा।
साल 2021 में एक महिला के जीवनभर की औसत प्रजनन दर 2.3 फीसदी थी। यह 1950 के मुकाबले 5 फीसदी गिर गयी है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक, साल 2050 तक एक महिला की जीवनभर की औसत प्रजनन दर 2.1 हो जाएगी।
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लोगों की औसतन आयु बढ़ने का अनुमान
इन सब चीज़ों के बीच लोगों की आयु बढ़ने का भी अनुमान है। साल 2019 में व्यक्ति की औसत उम्र 77.2 थी, जोकि साल 1990 के मुकाबले 9 साल ज़्यादा है। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2050 तक व्यक्ति की औसत उम्र 77.2 साल हो जाएगी। इस तरह प्रजनन दर में गिरावट के साथ-साथ लोगों की उम्र साल 2022 में 65 साल से दस फीसदी बढ़ जाएगी और साल 2050 तक यह 16 फीसदी बढ़ जाएगी। यह बताया जा रहा है कि इसका सीधा असर मजदूरों और राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम पर पड़ेगा।
इन देशों की जनसंख्या में होगी सबसे ज़्यादा वृद्धि
यूएन ने यह साफ़ तौर पर बताया कि वैश्विक जनसंख्या में होने वाले इज़ाफे के दौरान बड़ी क्षेत्रीय असमानताएं भी होंगी। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि साल 2050 तक होने वाली जनसंख्या वृद्धि का आधे से ज़्यादा हिस्सा महज 8 देशों से होगा। इनमें डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, इजिप्ट, इथियोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस और तंजानिया में जनसंख्या वृद्धि होगी।
चीन की आबादी में कमी का अनुमान
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि क्षेत्रीय जनसांख्यिकी में अंतर आगे चलकर भू-राजनीति (Geopolitics) में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अभी तक चीन को सबसे ज़्यादा आबादी वाला देश कहा जा रहा है, जिसका स्थान अब भारत लेने वाला है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक 2023 की शुरुआत में भारत आबादी में पहले नंबर पर पहुंच जाएगा और चीन दूसरे नंबर पर होगा। चीन की आबादी 1.4 अरब है जो 2050 तक कम होकर 1.3 अरब पहुंच जाएगी। आंकड़ा यह भी कहता है कि सदी के अंत तक चीन की आबादी 80 करोड़ पहुंच सकती है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिये इस बयान की हलचल फिलहाल तो उतनी नहीं दिख रही है लेकिन आगे चलकर दुनिया भर के लोगों पर इसका बहुत बड़ा असर देखने को मिलेगा, जिसके लिए हर देश को तैयार रहने की ज़रुरत होगी।
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