दोस्तों कर्नाटक राज्य के शिवमोग्गा के सरकारी प्री युनिवर्सिटी कॉलेज में हिजाब पहन कर गई एक लड़की के साथ वहां के छात्रों ने जो गुंडा गर्दी की है वह भुलाई नहीं जा सकती है। सैकड़ों की संख्या में लड़को के झुण्ड ने लड़की का रास्ता रोकते हुए भगवा गमछा लहराते हुए जय श्री राम के नारे लगाये। पूरी तरह से कॉलेज के अंदर जाने से रोका। वह सीन किसी ने अपने कैमरे में कैद किया और सोसल मीडिया में डाल दिया।
जब ये वीडियो मैं देख रही थी तब मेरा दिल भी काँप उठा। बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ। “महिलाओं के सम्मान में, भाजपा मैदान में” वाली सरकार के देश में उन्हीं का गमछा लहराते हुए इतना बड़ा अन्याय भला सरकार क्यों करवा रही है। ये बात दिल को बार-बार कचोट रही है। ये हमारा देश कैसा हो गया है। इतनी बड़ी हिम्मत आज के युवाओं को कैसे हो रही है, कि लड़कियों के साथ इस तरह से अपना खौफ जमा रहे हैं। आज के युवा छात्र क्या पढ़ते हैं। कॉलेजों में स्कूलों में क्या उनको ये नॉलेज नहीं है कि देश के संविधान ने हमें बुनियादी अधिकार दिया है। देश का हर नागरिक अपने धर्म के अनुसार कपड़े पहनना, खाना और शिक्षा ग्रहण कर सकता है लेकिन एक मुस्लिम लड़की के साथ हिन्दू धर्म का खौफ जमा कर पूरी तरह से डर बैठाने की कोशिश की गई और ये ऐसे वक्त में हो रहा है जब यूपी में चुनाव हो रहे हैं। लड़कियां कम नहीं हैं, डरपोक भी नहीं हैं। सीना तान कर सामना कर सकती हैं। वही मुस्कान ने दिखाया भी है। ऐसा नहीं है कि मुस्कान डरी नहीं होगी लेकिन उसने डर को आड़े आने नहीं दिया।
दोस्तों हिजाब मामला की चर्चा हर गाँव-गली और मोहल्ले तक में हो रही है। मौजूदा सरकार यही चाह रही है कि धर्म के नाम इस तरह के मुद्दे चर्चा में आये जो उनके राज में चलते रहें है और जहां पर उनकी पार्टी की सरकार नहीं है वहां पर भी कैसे-कैसे अपना डर पैदा कर सकते हैं। कर्नाटक में जो हो रहा है वो सीधे-सीधे यूपी के चुनावों में भी असर डाल रहा है क्यूंकि वहां पर 2023 में चुनाव भी है। सरकार एक तरह से अपना माहौल बना रही है। लेकिन इस माहौल को लोग अच्छे से अब समझ रहे हैं। ऐसे किसी के अंदर डर पैदा करके, डराकर, धमका कर आप राज नहीं कर सकते हो।
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मैं कई बार ये भी सोचती हूं कि आज़ाद भारत में ये गुलाबी वाली फीलिंग क्यों पैदा हो रही है। जैसे पहले अंग्रेजी शासन में था। फूट डालो और राज करो। हिन्दू मुस्लिम को लड़ाया जा रहा है। युवाओं-युवाओं को लड़ाया जा रहा है। एक युवाओं का झुंड भगवा झंडा लहराते है दूसरे युवाओं का समूह संविधान बचाने के लिए नीला झंडा लहराते है। ये सब करने की ज़रुरत क्यों हैं? क्यों शान्ति और भाईचारे का बीज नहीं उगने दिया जा रहा है। क्या पा जाओगे ये सब करके? ये नफरत पैदा करने वाले नौजवानों खूबसूरत भारत को किस दिशा में ले जाना चाहते हो? मैं भी स्कूलों, कॉलेजों में पढ़ी हूं। कभी-भी ऐसा माहौल नहीं देखी हूं। हमारे जमाने में भी नौजवान लड़कों का झुंड था लेकिन वो नफरत नहीं प्यार-भाईचारा, हर धर्म का सम्मान का बीज बोते थे।
ये मामला इतना बड़ा हो गया है कि कोर्ट तक की शरण लेनी पड़ी और कोर्ट में भी अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। कर्नाटक हाईकोर्ट से हिजाब विवाद पर तीन मार्च के बाद सुनवाई की गुजारिश की गई है। यह कहा गया है कि विधानसभा चुनावों की वजह से मामले पर राजनीति हो रही है। उडुकी में मामला इतना तूल पकड़ रहा है कि धारा 144 लगा दी गई है। कई जगहों पर इसके विरोध में मुस्लिम महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ता सड़क पर उतर आई हैं। अभी भी मुस्लिम समुदाय को खूब ट्रोल किया जा रहा है लेकिन देश के ठेकेदार चुप्पी साधे है। एक शब्द भी बोलने के तैयार नहीं है। चारो तरफ से ये आवाज़ उठ रही है कि चुनाव का समय चल रहा है इसलिए हिन्दू-मुस्लिम का मुद्दा उठाकर जनता का ध्यान भटकाने का काम किया जा रहा है। किसी भी तरह से धर्म को ही आड़े क्यों लाया जाता है?
यही लड़के जो हिजाब का विरोध करते हैं अगर देश में बेरोज़गारी की बात करें, महंगाई की बात करें, हिंसा खत्म करने की बात, गांवो में विकास की बात करें तो भी फेमस हो सकते हैं। पता नहीं इनको क्या मिल जाता है फालतू का फसाद करके भयी! ऐसी फसाद से आपके मां-बाप तो कभी खुश नहीं होगें, जहां तक मैं समझती हूँ। अरे! देश कहता की आने वाली पीढ़ी के हाथ में देश की कमान है। मैं पूछती हूँ, क्या किसी के हिजाब का विरोध करके आप देश की उन्नति कर पायेगे? हिन्दू-मुस्लिम करके देश की उन्नति कर पाओगे?
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