खबर लहरिया चित्रकूट “किन्नरों को भी है जीने का हक़”

“किन्नरों को भी है जीने का हक़”

हमारे समाज में आज भी किन्नरों को वो इज़्ज़त वो पहचान नहीं मिलती जिसको वो योग्य हैं, उन्हें कदम कदम पर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है और अपने हक़ और अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है। हमने हाल ही मुलाक़ात करी चित्रकूट ज़िले के मानिकपूर ब्लॉक में रहने वाली किन्नर कोमल से। कोमल पेशे से डान्स करने का काम करती हैं। उन्होंने हिम्मत, जोश और लगन से चित्रकूट ज़िले में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, तो आइए मिलते हैं कोमल से और जानते हैं उनके कठिनाइयों भरे इस सफ़र के बारे में।

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आज़ादी के इतने साल भी किन्नर समुदाय के लोग अपना हक़ और वो इज़्ज़त पाने के लिए जंग लड़ रहे हैं। तो क्यों न हम सब भी किन्नरों को एक आम इंसान की तरह देखें और उनको भावनाओं को ठेस पहुंचाने के बजाय उन्हें उनके अधिकार दिलाने और समाज में खुद की एक पहचान बनाने में अपना योगदान दें।

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