खबर लहरिया Blog ढाई सालों से टूटी है पुलिया, जान के खतरे पर नदी से रास्ता पार करते हैं लोग

ढाई सालों से टूटी है पुलिया, जान के खतरे पर नदी से रास्ता पार करते हैं लोग

छत्तरपुर जिले के गाँव बरारी में पुलिया न होने की वजह से ग्रामीण नदी के ज़रिये रास्ता पार करते हैं। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारीयों को पुलिया बनाने की भी मांग की लेकिन इसके बावजूद भी पुलिया का निर्माण नहीं कराया गया। ढाई सालों से टूटी है पुलिया, जान के खतरे पर नदी से रास्ता पार करते हैं लोग

जिला छतरपुर ब्लॉक छतरपुर गांव बरारी में तकरीबन ढाई सालों से पुलिया टूटी पड़ी है। आपको बता दें, यह टूटी हुई पुलिया ही लोगों के निकलने का एकमात्र और सुरक्षित रास्ता थी। पुलिया के नीचे से नदी बहती है। अब जब पुलिया टूट गयी है तो न चाहते हुए भी लोगों को नदी का रास्ता पार करना पड़ रहा है। जब कोई गाड़ी नदी के रास्ते से निकलती है तो फिसल कर गिर जाती है। इससे कई गंभीर हादसे भी हो जाते हैं। इसके बाद भी अधिकारियों की आँखे लोगों की तरफ नहीं पड़ती।

ये भी देखें – बाँदा : रास्ता न होने से पुलिया बनाकर रास्ता पार करने को मज़बूर ग्रामीण

ग्रामीणों ने बताई अपनी परेशानियां

मालती बाई, जो की गाँव बरारी में रहती हैं। उनका कहना है कि पुलिया के लिए काफी बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। न ही सरपंच है और न ही अधिकारी, कोई भी उनकी परेशानी को सुनने वाला नहीं है। टूटी पुलिया दिक्कतों का कारण बनी हुई है।

nadi ff

कल्लू रैकवार का कहना है कि एक बार जब वह नदी के रास्ते से निकल रहे थे तो वह गिर गए थे। पानी के अंदर से घुसकर निकलो तो हादसे भी हो जाते हैं। अभी तो कुछ नहीं है, बारिश के मौसम में इतना ज्यादा यहां से पानी बहता है कि वह लोग निकल भी नहीं पाते हैं। अगर बारिश में नदी भर जाती है तो वह लोग अपना सामान पहले से खरीद कर रख लेते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि नदी भरने से निकल पाना या रोज़ी-रोटी कमाने के लिए जा पाना खतरनाक हो जाता है।

रिंकू खान का कहना है कि जुम्मे के दिन अगर वह लोग नदी के रास्ते से नमाज पढ़ने के लिए जाते हैं तो पानी गंदा होने की वजह से उनके सारे कपड़े गंदे हो जाते हैं। यहां का प्रशासन भी कोई देख-रेख नहीं करता है।

अच्छेलाल अहिरवार, रिक्शा चलाने का काम करते हैं। वह बताते हैं कि उन्हें रिक्शा निकालना होता है तो वह पाटिया डालकर रिक्शा निकालते हैं। अगर पानी में रिक्शे को घुसाया तो वह निकल नहीं पायेगा। कई बार समस्या को लेकर शिकायत भी की पर कोई सुनवाई ही नहीं हुई।

ये भी देखें – विकास की धीमी रफ़्तार ले रही लोगों की जानें, पुलिया ने होने से नदी से रास्ता पार करते हैं लोग

कम बजट और बारिश से रुका था काम – सरपंच

इस बारे में हमने सरपंच गिरधारी लाल से भी बात की। उन्होंने बताया कि पहले पुलिया बनाने का काम लगा था लेकिन बारिश की वजह से बंद हो गया। जितना बना था वह भी बारिश की वजह से टूट गया। अब कुछ दिनों बाद काम फिर शुरू हो जाएगा। पुलिया बनाने का बजट भी कम आया था इसलिए अभी तक काम शुरू नहीं हो पाया है।

जांच के बाद शुरू होगा काम – जिला पंचायत सीईओ

खबर लहरिया ने मामले को लेकर जिला पंचायत सीईओ सैयद मजहर अली से भी बात की। उनका कहना था कि पुलिया के निर्माण के लिए काफी बार लोग आए हैं। उन्होंने इस बारे में सेक्रेटरी और सरपंच से भी पूछा था। उन लोगों का कहना था कि काम लगा है जल्द से जल्द बनवा दिया जाएगा। उन्हें यह अभी पता चला है कि पुलिया का काम अभी-भी पूरा नहीं हुआ है। वह आगे कहते हैं कि वह एक बार फिर से जांच-पड़ताल करवाकर पुलिया का काम शुरू करवाएंगे।

विकास या पुलिया न होने की समस्या सिर्फ एक जिले की ही नहीं बल्कि अन्य जिलों की भी है। रामनगर ब्लॉक के मजरा बेलरी में विकास की मांग यहां के ग्रामीणों द्वारा लगभग दस सालों से की जा रही है। लोगों के पास सुविधाओं तक पहुंचने का रास्ता तक नहीं है। कारण यह है कि मुख्य रास्ते पर पुलिया यानी पुल का निर्माण नहीं हुआ है। असल में यहां डैम बनने वाला है पर उसका काम भी पूरा नहीं हुआ है। अब जब पुलिया नहीं है तो लोग नदी से ही निकलते हैं। नदी का पानी कभी घुटनों तक भरा होता है तो कभी गले तक। पिछले महीनों में यूपी के कई क्षेत्रों में आपने बाढ़ की स्थिति भी देखी होगी। जब पानी कम होता है तो लोग जैसे-तैसे नदी पार कर लेते हैं पर जब पानी गर्दन तक आ जाता है तो लोग कहीं आ-जा नहीं पाते। यहां के लोग आज भी हर दिन अपनी जान खतरे में डालकर नदी के ज़रिये रास्ता पर करते हैं।

बीते, 1 अक्टूबर 2021 को चित्रकूट के रामनगर ब्लॉक के ग्रामपंचायत रामपुर के मजरा बेलरी में पानी में डूबने से दो साल के बच्चे की मौत हो गयी। अब आप सोच रहे होंगे की पानी में डूबने से हुई मौत का विकास से क्या संबंध है तो इसका भी जवाब हम आपको देते हैं।

विकास की मांग को लेकर ग्रामीण 5 सालों से दे रहे धरना

ग्रामीणों द्वारा लगभग 5 सालों से अभाष महासंघ के समाज सेवी लवलेश विराग, वर्तमान प्रधान रामकेश यादव, नेता धर्मेंद्र व मीरा भारती से गाँव में विकास को लेकर मांग की जा रही है। ग्रामीणों ने अनशन और धरना प्रदर्शन भी किया लेकिन समस्या अभी भी ज्यों की त्यों बनी हुई है। अनशन के दौरान कई ग्रामीणों की हालत खराब होने पर उन्हें अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था। हर बार अधिकारी उन्हें आश्वाशन देते कि महीने-पंद्रह दिन में काम हो जाएगा पर आज तक कुछ नहीं हुआ।

मरीज़ को चारपाई पर लेकर पार करते हैं पानी भरा रास्ता

ग्रामीणों का कहना है कि रपटा के पास गुंता बाँध है और रपटा नीचा है जिसकी वजह से पानी भर जाता है। फिर लोगों को वैसे ही पानी भरे से गुज़रना पड़ता है। कोई बीमार होता है तो चार लोग व्यक्ति को चारपाई पर कन्धा देकर पानी भरा रास्ता पार कर इलाज के लिए लेकर जाते हैं। राशन लाना हो या कोटे का काम हो, सब चीज़ों के लिए पानी भरा रास्ता पार करके जाना पड़ता है।

लोगों का कहना है कि वे घर में बंद होकर महीनो तक तो नहीं रह सकते न। ज़रूरत के सामान के लिए रामनगर तो जाना ही पड़ता है। हर रोज़ जब भी वह रास्ता पार करते हैं तो उनकी जान पर खतरा बना रहता है।

दोनों ही मामलों में हमने पाया कि शिकायत करने के बाद भी अधिकारीयों ने ग्रामीणों को हो रही समस्याओं को नकारा। जब अधिकारीयों से इसका जवाब माँगा गया तो अधिकारी कोई अटपटी वजह देकर खुद को मामले से बचाते हुए दिखे। किसी ने कहा कि उन्हें तो पता नहीं, उन्हें लगा की बन गया होगा। ये ग्रामीण जो अपनी जान का खतरा उठाकर नदी के ज़रिये रास्ता पार कर रहे हैं क्या ये अधिकारी उनके जीवन और उनके परिवार की ज़िम्मेदारी उठा सकते हैं? अगर पुलिया के लिए बजट कम भी आया था तो उसके लिए आगे कोई लिखित सूचना जल्द से जल्द क्यों नहीं दी गयी? ढाई सालों में भी पुलिया न बनवाने का आखिर अधिकारीयों के पास क्या जवाब है ?

इस खबर की रिपोर्टिंग अलीमा द्वारा की गयी है।

ये भी देखें – LIVE चित्रकूट: रास्ते में भरा पानी, पुलिया की कोई सुविधा नहीं

(हैलो दोस्तों! हमारे  Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)