प्लस मेडिसिन पत्रिका के एक अध्ययन के अनुसार केवल 35 प्रतिशत हवा द्वारा फैली टीबी यानि फेफड़ों की टीबी के मरीज निजी अस्पतालाओं में इलाज करा रहे हैं। ये प्रतिशत मंबई और पटना शहर में नवम्बर 2014 से अगस्त 2015 के बीच का है। साथ ही निजी स्वास्थ्य सेवाओं में देश की दो-तिहाई यानी 2.74 मिलियन नये टीबी के मरीजों का इलाज हो रहा है। निजी स्वास्थ्य सेवाओं में सही समय पर टीबी की पहचान और उपचार से भारत का 2025 तक टीबी मुक्त करने के सपना में 100,000 केसों को कम करके 10 केस कर सकता है।
2,602 मरीजों में से पटना में 473 प्रदाताओं और मुंबई में 730 प्रदाताओं के प्रतिनिधि नमूने लिए गए थे। अध्ययन के लिए पटना में 3,179 योग्य प्रदाताओं और मुंबई में 7,115 योग्य प्रदाताओं का प्रतिनिधित्व करने के लिए इन्हें भारित किया गया। 2,602 मामलों में से 959 में, रोगियों को आगे के इलाज के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा के लिए टीबी के लिए परीक्षण और छाती एक्स-रे को आदेश देकर सही तरीके से प्रबंधित किया गया था।
इस अध्ययन में बताया गया है कि पिछले चार वर्षों में देखभाल का स्तर कैसे बदल गया है, जो देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक मार्गदर्शन दे सकता है। इस अध्ययन से सरकार को अधिक मामलों को पंजीकृत करने में मदद मिल सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र में उपचार की सफलता उतनी अधिक नहीं है जितनी सरकारी संख्याएं बताई जा रही हैं, उपचार के लिए पंजीकृत टीबी के मामलों में से 73% का सफलतापूर्वक इलाज किया गया था, जबकि सरकार ने 84% सफलता दर बताई है।