17 अप्रैल दिन गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में वक़्फ़ संशोधन कानून पर करीब एक घंटे बहस चली लेकिन इस छोटी सी सुनवाई में बड़ी बातें तय हो गईं। कोर्ट ने साफ कहा कि अब 70 याचिकाओं का बिखराव नहीं चलेगा, सिर्फ पांच मुख्य याचिकाएं रहेंगी, उन्हीं पर सुनवाई होगी।
सरकार को जवाब देना होगा
कोर्ट ने केंद्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए 7 दिन की मोहलत दी है। यानी अगले हफ्ते तक सरकार को यह बताना होगा कि आखिर नया वक़्फ़ एक्ट कैसे वाजिब है और उस पर लगे आरोपों में कितना दम है। सरकार के जवाब के बाद याचिकाकर्ता 5 दिन में अपनी बात रख सकेंगे। फिर 5 मई को दोपहर 2 बजे से अगली सुनवाई होगी।
जब तक जवाब-तलब की ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से वक़्फ़ घोषित संपत्तियों पर जो स्थिति पहले से बनी है वहीं बनाए रखने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सरकार को तीन साफ निर्देश दिए हैं – कोई नया अधिग्रहण नहीं, न ही ज़मीनों की नयी सूची जारी होगी, और न ही विवादित जमीन पर कोई कार्रवाई।
सरकार का तीखा विरोध
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का रुख नरम नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट के इस संकेत का विरोध किया कि एक्ट के प्रावधानों पर रोक लगाई जा सकती है। जनरल तुषार बोले कि संसद से बहस और सोच-विचार के बाद पास हुए कानून को ऐसे ही कैसे रोका जा सकता है? पहले सरकार की बात तो सुनी जाए।
कोर्ट का संतुलन
कोर्ट का रुख अब तक संतुलित दिखा। वह न सरकार की बात काट रही है, न याचिकाकर्ताओं को एकतरफा बढ़त दे रही है। लेकिन ‘यथास्थिति’ बनाए रखने का आदेश यह इशारा ज़रूर है कि अदालत फिलहाल जनता की आशंका को खारिज नहीं कर रही। यह किसानों, ज़मीन मालिकों और सामान्य नागरिकों के लिए बड़ी राहत है।
अब सबकी नज़र 5 मई पर
अब अगली सुनवाई 5 मई को है। मतलब कि यह मामला लटक नहीं रहा बल्कि तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। सवाल कई हैं कि क्या यह कानून संविधान की आत्मा से टकरा रहा है? क्या ज़मीन पर रहने वालों के अधिकार एकतरफा दबाए जा रहे हैं? और सबसे अहम कि क्या सरकार इन सवालों का ईमानदारी से जवाब दे पाएगी।