बांदा जिले के चिल्ला कस्बे में मछुआरे पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ने और सुखाने का कार्य करते हैं। हर शाम जाल नदी में डाला जाता है, जो पूरी रात पानी में पड़ा रहता है। सुबह जाल से छोटी मछलियाँ निकाली जाती हैं, जिन्हें साफ कर धूप में सुखा दिया जाता है। ये सुखी मछलियाँ बाद में लखनऊ की मंडी में ले जाई जाती हैं, जहाँ ठेकेदार इन्हें अच्छे दाम पर खरीदते हैं। स्थानीय बाजार में बेचने की बजाय सीधा मंडी में बिक्री से मछुआरों को बेहतर आमदनी मिलती है। अक्सर मछुआरे मछली पकड़ने से पहले एडवांस में पैसे भी ले लेते हैं। यह एक पारंपरिक व्यापार प्रणाली है जो स्थानीय आजीविका और आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत करती है।
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