नमस्कार दोस्तों मैं हूं गीता लेकर आई हूं अपना सो जासूस या जार्नालिस्ट। दोस्तों श्रद्धा वालकर मर्डर केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस समय ये मामला बहुत सुर्खियों में है। अलग-अलग मीडिया चैनलों से मिली जानकारी के अनुसार 18 मई को श्रद्धा के प्रेमी आफताब पुनावाला ने उसकी हत्या कर 35 टुकड़े किये थे। इस मामले पर दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 17 नवंबर को श्रद्धा की हत्या के आरोपी आफताब पूनावाला की पुलिस हिरासत पांच दिनों के लिए बढ़ा दी है। इसके साथ ही साकेत कोर्ट ने नार्को टेस्ट की भी अनुमति दी है। फिलहाल ये जांच का विषय है पुलिस सबूतों की तलाश में लगी हुई है। जानकारी के मुताबिक, पुलिस आरोपी आफताब पूनावाला को लेकर महरौली के जंगलों में श्रद्धा के बॉडी पार्ट्स बरामद करने की कोशिश कर रही है।
दोस्तों एक तरफ जहां हमारा समाज प्यार करने की इज़ाज़त नहीं देता, ना ही उन्हें स्वीकार करता है। वहीं दूसरी तरफ हमारा संविधान इसकी इजाजत देता है कि लड़कियां और महिलाएं अपने फैसले खुद ले सकती हैं। वह इसके लिए सक्षम है। सरकार भी ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के बड़े-बड़े वादे करती है। बेटियां पढ़-लिखकर जागरूक भी हो जाती हैं लेकिन फिर भी क्या सुरक्षित हैं बेटियां? क्योंकि ये है तो पितृसत्तात्मक समाज ही ना।
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श्रद्धा मर्डर केस को भले ही राजनीति मुद्दा बनाने के लिए धर्म और जाति के नाम पर बांटा जा रहा हो लेकिन यह पुरुष समाज है, जो हमेशा से महिलाओं और लड़कियों को दबाने और पीछे खींचने में लगा रहता है, तो आखिरकार आफताब भी तो एक पुरुष ही है जिसने इस तरह की हैवानियत की है। अगर मैं बात करूं अपने 12 साल के रिपोर्टिंग के अनुभव की तो बहुत सारी लड़कियां पढ़-लिख कर आगे बढ़ी हैं, सपने देखे हैं और कुछ बन कर भी दिखाई हैं। हर स्तर पर इसके लिए उन्हें लड़ाई लड़नी पड़ी है। चाहें घर से निकलने को लेकर परिवार से लड़ाई हो चाहें प्यार के लिए समाज से लड़ाई। फिर ऐसा क्यों? क्या ऐसे में जो परिवार थोड़ा बहुत लड़कियों को निकलने की और खुद के फैसले लेने की इजाजत देता था वह नहीं रोकेगा?
अगर देखा जाए तो इन 12 सालों में मैंने महिलाओं के साथ हुई क्राइम की घटनाओं पर बुन्देलखण्ड से बहुत रिपोर्टिंग की है। चाहें वह दहेज या हत्या का मामला रहा हो, या फिर रेप के बाद हत्या का या घर से निकालने का। हर स्तर पर उन्हें हिंसा का शिकार होना पड़ा है। जब इस तरह के मामले सामने आते हैं, तो लड़कियों और महिलाओं पर ही लांछन लगाया जाते हैं और उसके लिए एक भीड़ इकट्ठा हो जाती है। मैं बता दूं कि बांदा जिले के बबेरु कस्बे में पति द्वारा अपनी पत्नी का गला रेत कर हत्या कि गई थी। इतना ही नहीं आरोपी उस कटे हुए सिर के साथ थाने भी पहुंच गया, जहां पुलिस द्वारा पत्नी को ही बचलन बता के उस केस को हल्का कर दिया गया। कई बार पुलिस भी ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लेती और कुछ मीडिया के लोग भी ऐसे मामलों को एक अलग ही अंदाज में पेश करते हैं।
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जिस तरह से श्रद्धा कि उसके प्रेमी द्वारा खौफनाक हत्या का मामला सामने आया है। इसने पूरे देश के साथ-साथ उन हर मां-बाप को हिलाकर रख दिया है,जो अपनी लड़कियों को आगे बढ़ने में सहयोग करते थे। खैर पुलिस ज़ोरो पर इस केस में लगी हुई है। जिससे हर रोज इस केस में परत दर परत नई-नई चीजें निकल कर आ रही है। देखना ये है कि आगे यह केस किस-किस तरह का और नया मोड़ लेता है। किस तरह की कार्यवाही होती है। फिलहाल मैं हर उन मां-बाप से यह कहूंगी कि लड़कियों को खूब बढ़ाएं और आगे बढ़ाएं उनका सहयोग करें, लेकिन लड़कियां भी ऐसे किसी पर भरोसा न करें जिससे धोखा साबित हो। तो, ये थी मेरी आज कि जासूसी भरी कहानी। अगली बार फिर मिलूंगी किसी नए मुद्दे के साथ तब तक के लिए दीजिए इज़ाज़त नमस्कार।
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