जब मानव शरीर का आंतरिक तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है तो शरीर हल्के हाइपोथर्मिया के लक्षणों का अनुभव करता है। गंभीर हाइपोथर्मिया (28 डिग्री सेल्सियस से नीचे) के मामले में, शरीर/व्यक्ति बेहोश हो सकता है और ऐसा लगता है कि उसकी प्लस या सांस नहीं चल रही है। यह सारे कारण व्यक्ति को मौत के करीब लाते हैं।
उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में जानलेवा शीतलहर का कहर बना हुआ है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, राजस्थान और उत्तराखंड जैसे कई हिस्सों में रेड और येलो अलर्ट ज़ारी किया है।
शीतलहर कई लोगों के मौत का कारण भी बन गयी है। न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस (IANS) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक सप्ताह में कम से कम 98 लोगों की मौत दिल और दिमाग का दौरा पड़ने से हुई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, राजधानी दिल्ली भी पिछले एक सप्ताह से सबसे ठंडे दिनों का सामना कर रही है। कोहरे की चादर ने इंडो-गंगा के मैदान को घेर लिया है जिससे धूप रुक रही है और दिन का तापमान भी बहुत अधिक देखा जा रहा है।
मंगलवार को दिल्ली के सफदरजंग में न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं सोमवार को, सफदरजंग मौसम केंद्र में न्यूनतम तापमान 3.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया था और रविवार को यह 1.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था जो कम से कम 2008 से जनवरी में दूसरी सबसे कम गिरावट है।
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अत्यधिक ठंड से कैसे पड़ता है दिल का दौरा?
फर्स्ट पोस्ट की प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, ठंड में ब्लड प्रेशर का बढ़ना और खून का थक्का (blood clot) जमना दिल और दिमाग के लिए खतरनाक हो सकता है।
दिल्ली के मैक्स अस्पताल के एक वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोज कुमार ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को सर्दियों के दौरान लोगों को दिल का दौरा पड़ने के दो कारण बताये।
बताया, ठंड की वजह से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं जिसे वाहिकासंकीर्णन के नाम से जाना जाता है जोकि उच्च रक्तचाप का कारण बनता है।
“दिल का दौरा हृदय धमनियों (coronary arteries) में खून के थक्के बनने के कारण होता है। सर्दियों में हमारे शरीर में फाइब्रिनोजेन (fibrinogen) का स्तर 23 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। प्लेटलेट काउंट भी बढ़ता है। इससे रक्त का थक्का बन सकता है और दिल का दौरा पड़ सकता है, ”डॉ कुमार ने कहा।
बता दें, फाइब्रिनोजेन (fibrinogen) रक्त में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है जिसकी ज़रूरत थक्के बनाने के लिए होती है।
अत्यधिक सर्दी से शरीर पर पड़ने वाला असर
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ( US Centers for Diseases Control) के अनुसार, हाइपोथर्मिया लंबे समय तक बहुत ठंडे तापमान के संपर्क में रहने के कारण होता है वहीं मानव शरीर इसके उत्पादन की तुलना में तेज गति से गर्मी छोड़ना करना शुरू कर देता है।
जब मानव शरीर का आंतरिक तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है तो शरीर हल्के हाइपोथर्मिया के लक्षणों का अनुभव करता है। गंभीर हाइपोथर्मिया (28 डिग्री सेल्सियस से नीचे) के मामले में, शरीर/व्यक्ति बेहोश हो सकता है और ऐसा लगता है कि उसकी प्लस या सांस नहीं चल रही है। यह सारे कारण व्यक्ति को मौत के करीब लाते हैं।
मध्यम हाइपोथर्मिया (32 से 28 डिग्री सेल्सियस) की स्थिति में शरीर भ्रम, गुस्सा, सुस्ती और कभी-कभी वहम का भी अनुभव करता है।
35 डिग्री सेल्सियस से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच मानव शरीर खराब निर्णय, भूलने की बीमारी और हाइपरमिया ( hyperemia, जब हमारे शरीर के विभिन्न भागों में रक्त प्रवाह बदल जाता है) से पीड़ित हो सकता है।
जानें हाइपरमिया क्या है?
मेडिकल न्यूज टुडे हाइपरमिया (hyperemia) को परिभाषित करता है और बताता है कि हाइपरमिया तब होता है जब “संवहनी प्रणाली के अंदर अतिरिक्त रक्त बनता है, जो शरीर में रक्त वाहिकाओं की प्रणाली है।”
रक्त, होमियोस्टेसिस (homeostasis) की स्थिति में शरीर के कोर व महत्वपूर्ण अंगो को गर्म रखने के लिए प्रवाहित होता है। इस वजह से लिवर, हृदय, फेफड़े और तिल्ली को अधिक प्रसार मिलता है, जबकि उंगलियों, पैर की उंगलियों, नाक और कान की लोबियों को कम रक्त परिसंचरण प्राप्त होता है, जिससे वे ठंडे हो जाते हैं।
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लंबे समय तक ठंड में रहना है खतरनाक
गर्म रहने के लिए मानव शरीर कांपता है और वाहिकासंकीर्णन (vasoconstriction) से गुज़रता है, जिसका मतलब है कि रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं और रक्तचाप और परिसंचरण में वृद्धि होती हैं। इससे कई व्यक्तियों में उच्च रक्तचाप (hypertension) भी हो सकता है।
लंबे समय तक ठंडे तापमान के संपर्क में रहने से शरीर की संचित ऊर्जा का उपयोग हो सकता है, जिससे शरीर का तापमान कम हो सकता है। यह मानव के मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है, “पीड़ित को साफ़ तौर पर सोचने या अच्छी तरह से चलने में असमर्थ बनाता है,” या व्यक्ति बोलने में परेशानी का अनुभव करता है।
शीतलहर से कैसे बचें?
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, जब बाहर बहुत ठंड हो तो घर के अंदर ही रहें। ढीले-ढाले कपड़ों की कई परतें पहनें और अपने आप को कंबल में ढक लें।
मैक्स अस्पताल के डॉ. कुमार ने बताया, सूर्योदय से पहले मॉर्निंग वॉक से बचें। यह सुनिश्चित करें कि आपका सिर अच्छी तरह से ढका हुआ है। कहा, “सिर का सतह क्षेत्र बहुत बड़ा है। इसलिए सिर से गर्मी कम होने की संभावना अधिक होती है,” उन्होंने एएनआई को बताया।
ऐसे में विटामिन डी की खुराक लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसकी कमी से दिल का दौरा पड़ सकता है।
मध्यम हाइपोथर्मिया के लोग यह करें
डॉ. सुमित रेने जिन्होंने 25 साल तक क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट के रूप में काम किया, ने द क्विंट को बताया कि मध्यम हाइपोथर्मिया (mild hypothermia) वाले लोग बाहरी हीटिंग पर निर्भर रह सकते हैं और गर्म तरल पदार्थ पी सकते हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने लोगों को शीतलहर को लेकर अलर्ट कर दिया है व ऐसे में लोगों को जितना हो सके, खुद को बर्फीली हवा से बचाये रखने की ज़रूरत है।
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