दक्षिण भारत के केरल राज्य में बसा सबरीमाला श्री अय्यप्पा मंदिर मक्का-मदीना के बाद दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ स्थान माना जाता है। इस मंदिर में हर साल करोड़ों की संख्या में श्रधालुओं की भीड़ जुटती है, जिसमे केवल पुरुष ही होते हैं।
केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित है। आज हम यहाँ महिलाओं को बराबरी का अधिकार देने की बात करते हैं वहीँ केरल के इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाती है। माना जाता है कि भगवन श्री अय्यप्पा ब्रह्मचारी थे इसलिए यहाँ 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का आना वर्जित है।
इसी के चलते, सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर, केरल के सीएम पिनरई विजयन ने रविवार को एक बैठक बुलाई है। पंडालम पैलेस और सबरीमला मंदिर के पुजारी के प्रतिनिधियों का कहना है कि वो इस बैठक में शामिल नहीं होंगे और इस मामले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करेंगे। नेशनल अय्यप्पा दिवोटी एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलजा विजयन ने याचिका दायर की है और इस याचिका में कहा गया है कि जो महिलाएं आयु पर प्रतिबन्ध लगाने आई थी वे अय्यप्पा भक्त नहीं हैं। यह फैसला लाखों अय्यप्पा भक्तों के मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है।
‘हमने सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर दी है। दर्ज की गयी याचिका के परिणाम आने के बाद ही आने वाले कार्यों पर निर्णय लिए जाएंगे। नहीं तो, सरकार से की गयी बातचीत का कोई तात्पर्य नहीं रह जाएगा ‘, ऐसा सबरीमाला तंत्री कन्दरारु मोहनरू का कहना है।
उनका ये भी कहना है कि यह फैसला नैर समुदाय के नेतृत्व में लिया गया है , जो की बहुत ही प्रसिद्ध जाति का समुदाय माना जाता है।
इसी महीने के अंत में होने वाली मासिक पूजा में , त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड ने फैसला लिया है कि महिला भक्तों के संचालन के लिए महिला कर्मचारी और पुलिस कर्मियों को तैनात किया जाएगा । वहीँ सबरीमाला तंत्री कन्दरारु मोहनरू ने इस पर भी आपत्ति जताई है।
इसी दौरान , र र वर्मा, पंडालम के शाही परिवार के प्रतिनिधि का कहना है कि हम लोग मंदिर की पुरानी परंपराओं को बचाना चाहते हैं। हमें बातचीत के ज़रिये सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
सीपिएम के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध जताने के बाद इस मामले पर बीच का रास्ता तलाशने के लिए केरल सरकार ने सोमवार को पंडालम के शाही परिवार के प्रतिनिधियों के संग ये बैठक बुलाई है।
इस फैसले के विरोध में विभिन्न हिन्दू संगठनों के समर्थकों ने केरल के विभिन्न शहरों की सड़कों पर उतरकर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड (टीडीबी) के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक प्रयर गोपालाकृष्णन के नेत्रित्व में यह विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मार्च में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। इससे पहले शनिवार को भी केरल के कोट्टायम और मलप्पुरम जिलों में कई श्रद्धालुओं ने मार्च निकाला।