प्रयागराज में रेलवे की एनटीपीसी (नान टेक्निकल पॉपुलर कैटेगरी) भर्ती परीक्षा के परिणाम में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए अभ्यर्थियों ने 25 जनवरी को जमकर हंगामा किया था। छोटा बघाड़ा में जुलूस निकालने के साथ प्रयागराज स्टेशन पर ट्रेन रोक दी। जिसके बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज करी। पुलिस ने जब घेराबंदी की तो कई छात्र हॉस्टल में घुस गए, जहां पुलिस ने दरवाजे तुड़वाकर उनकी पिटाई की। इसमें कई छात्रों को चोटें पहुंची हैं। दर्जनों छात्र हिरासत में भी लिए गए। पुलिस द्वारा हुई इस हिंसा की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जहाँ पुलिसकर्मी हॉस्टल में घुसकर प्रदर्शनकारी छात्रों को पीटते दिख रहे हैं। वीडियो में एक पुलिसकर्मी बंदूक की बट से दरवाजा तोड़ने की कोशिश करता दिख रहा तो कोई लातों से दरवाजा तोड़ता दिख रहा है। छात्रों के साथ हुई इस बर्बरता से राज्य का युवा वर्ग भी काफी गुस्साया हुआ है। इस मामले में इंस्पेक्टर और दो दारोगाओं समेत 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
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रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड के परिणाम में अनियमितता का आरोप लगाते हुए अभ्यर्थी लंबे समय से आंदोलनरत हैं। बिहार से लेकर यूपी में कई जगह पर युवा धरने पर बैठे हैं और इस दौरान हिंसा और पुलिस के साथ झड़प के मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन क्या इसका मतलब ये है कि पुलिस कानून अपने हाँथ में ही ले ले और बेरहमी से छात्रों को पीटे? पुलिस के साथ-साथ छात्रों का भी हिंसा करना पूरी तरह से गलत है। आपके हिसाब से क्या ये हिंसा रोकी जा सकती थी? हमें कमेंट करके ज़रूर बताइयेगा।
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